एक नए अध्ययन से पता चला है कि उड़न लोमड़ी कहे जाने वाले ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े चमगादड़ विश्व के सबसे अथक खानाबदोशों में से हैं। ये एक वर्ष में लगभग 6000 किलोमीटर का सफर करते हैं जो किसी भी अन्य थलचर स्तनधारी जीव से अधिक है। इसकी तुलना केवल व्हेल या प्रवासी पक्षियों से ही की जा सकती है।
इन चमगादड़ों का वज़न लगभग 1 किलोग्राम और पंखों का फैलाव 1 मीटर तक होता है। लेकिन अन्य चमगादड़ों की तरह शिकार करने की बजाय वे रात में फूलों के मकरंद, पराग और बीजों की तलाश करते हैं और दिन में पेड़ों पर डटे रहते हैं। पूर्व में शोधकर्ताओं का अनुमान था कि ये चमगादड़ स्थानीय हैं और अपना ठिकाना एक विशेष जगह को ही चुनते हैं लेकिन पूर्वी ऑस्ट्रेलिया की तीन प्रजातियों के 201 चमगादड़ों पर उपग्रह ट्रांसमीटर लगाने पर सभी अनुमान गलत साबित हुए। बीएमसी बायोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ये चमगादड़ एक वर्ष में 1487 से लेकर 6073 किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं।
इन सभी प्रजातियों में से ब्लैक फ्लाइंग फॉक्स (Pteropusalecto) की विचरण सीमा सबसे कम, उसके बाद ग्रे-हेडेड फ्लाइंग फॉक्स (P. poliocephalus) की उससे अधिक और सबसे अधिक लिटिल रेड फ्लाइंग फॉक्स (P. scapulatus) की पाई गई। लिटिल रेड फ्लाइंग फॉक्स प्रति वर्ष औसतन 5000 किलोमीटर का फासला तय करता है। यह दूरी रेनडियर जैसे जांबाज़ स्तनधारी प्रवासियों की तुलना में कहीं अधिक है। रेनडियर प्रति वर्ष 1200 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं और अफ्रीकी बारहसिंघे अपनी प्रत्येक यात्रा में लगभग 2900 किलोमीटर का फासला तय करते हैं।
गौरतलब है कि फ्लाइंग फॉक्स किसी मौसमी रास्ते का पालन नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर से दक्षिण के 1300 किलोमीटर के सफर में वे कई स्थानों पर अपना ठिकाना बनाते हैं और इनकी आबादी में नए प्रवासियों का उतार-चढ़ाव होता रहता है। अध्ययन में पता चला कि कुल मिलाकर चमगादड़ 755 ठिकानों पर रुके जो पिछली जानकारी की तुलना में दो गुना से भी अधिक हैं।
चूंकि ये चमगादड़ बीज फैलाने और परागण के लिए महत्वपूर्ण हैं, इनके विचरण से मानव गतिविधि या आग से खंडित जंगलों को जोड़ने में मदद मिलती है। लेकिन इनके अनिश्चित और दूर-दराज़ के भ्रमण के चलते संरक्षण और रोग प्रबंधन का काम जटिल हो जाता है क्योंकि ये मुद्दे स्थानीय अधिकार क्षेत्र में आते हैं न कि राष्ट्रीय। अब शोधकर्ता इस विचरण के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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