कोरोना महामारी के शुरुआती दौर की तुलना में कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर में कमी देखी जा रही है। यह परिवर्तन विशेष रूप से युरोप में देखा गया है लेकिन इसके पीछे के कारणों पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।
युनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के जैसन ओक और उनके सहयोगियों ने बताया है कि इंग्लैंड में जून से अगस्त माह के दौरान विभिन्न डैटा सेट के अनुसार संक्रमण से मृत्यु दर (आईएफआर) में 55 से 80 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है। 17 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह में ब्रिटेन में 7000 से अधिक संक्रमितों में से 95 लोगों की मृत्यु हुई (आईएफआर 1.4) जबकि अप्रैल के पहले हफ्ते में 40,000 पॉज़िटिव मामलों में से 7164 लोगों की मृत्यु हुई थी (आईएफआर 17.9)।
आईएफआर का पता पॉज़िटिव मामलों को मृत्यु की संख्या से विभाजित कर लगाया जाता है लेकिन ओक इन आकड़ों को सही आईएफआर नहीं मानते क्योंकि एक तो संक्रमण और उससे होने वाली मौतों के बीच कुछ सप्ताह का फर्क रहता है और समय के साथ परीक्षण में भी बदलाव होता है। फिर भी इन आंकड़ों से मोटा-मोटा अंदाज़ तो मिलता ही है। ओक और उनके सहयोगियों ने आईएफआर में बदलाव का अनुमान लगाने के लिए अधिक परिष्कृत विधि का उपयोग किया है। उन्होंने पाया कि पूरे युरोप में पैटर्न यही रहा है। लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं है।
आंकड़ों के आधार पर एक कारण यह हो सकता है कि अप्रैल माह के दौरान संक्रमितों में युवा लोगों का अनुपात कम था और 10-16 अगस्त के बीच संक्रमितों में 15-44 वर्ष के लोगों का का अनुपात अधिक था। मान्यता यह है कि युवाओं में मौत का जोखिम कम रहता है। लेकिन ओक इसे पर्याप्त व्याख्या नहीं मानते हैं। अभी भी पाए जाने वाले पॉज़िटिव मामलों में वृद्ध लोगों की संख्या काफी अधिक है।
कुछ शोधकर्ता अस्पतालों में बेहतर उपचार व्यवस्था को भी घटती मृत्यु दर का कारण मानते हैं।
इसी संदर्भ में नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के पॉल टमब्या का दावा है कि कोरोनावायरस का उत्परिवर्तित संस्करण (D614G) इस बीमारी की जानलेवा प्रकृति को कम कर रहा है। इस नए संस्करण से संक्रमण दर में तो वृद्धि हुई है लेकिन जान का जोखिम कम हो गया है। अन्य शोधकर्ता सहमत नहीं हैं।
जैसे, इम्पीरियल कॉलेज लंदन के एरिक वोल्ज़ के नेतृत्व में ब्रिटेन के 19,000 रोगियों से लिए गए वायरस के नमूनों के जीनोम पर अध्ययन किया गया। इस अध्ययन की अभी समकक्ष समीक्षा तो नहीं हुई है लेकिन वोल्ज़ के अनुसार वायरस के D614G संस्करण के कम जानलेवा होने के कोई प्रमाण प्राप्त नहीं हुए हैं।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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