अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन के प्रकोप हम सभी झेल रहे हैं। हाल ही में एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि आर्कटिक में समुद्री बर्फ सिकुड़ने के कारण ध्रुवीय भालू सदी के अंत तक शायद विलुप्त ही हो जाएंगे।
अलास्का में ब्यूफोर्ट सागर से लेकर साइबेरियाई आर्कटिक तक ध्रुवीय भालू की आबादी वाले 19 क्षेत्रों में लगभग 25 हज़ार ध्रुवीय भालू पाए जाते हैं। यह हिस्सा नवंबर से मार्च तक बर्फ से ढंका रहता है। यहां दिन का तापमान ऋण 15 से ऋण 1 डिग्री सेल्सियस होता है। मांसाहारी ध्रुवीय भालू शिकार के लिए पूरी तरह समुद्री बर्फ पर निर्भर होते हैं और सील का शिकार करते हैं। किंतु प्रति वर्ष वैश्विक तापमान बढ़ने से समुद्री बर्फ में कमी उनकी भोजन आपूर्ति में बाधा डालती है और वे प्रति वर्ष भूखे रह जाते हैं।
टोरोन्टो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. पिटर मोलनर ने हाल ही में नेचर क्लाइमेट चेंज में छपे शोध में कहा है कि बर्फ की कमी के कारण शिकार खोजने के लिए भालुओं को लंबी दूरी तक जाना पड़ता है और लगातार भोजन की कमी उनका अंत कर देगी।
आर्कटिक समुद्र पर जमी बर्फ में सील की खुशबू खोजते-खोजते ये उन स्थानों पर पहुंच जाते हैं जहां बर्फ के मैदानों में छेद होते हैं। भालू को देखते ही सील छेदों से समुद्र के अंदर चली जाती है परंतु कुछ समय पश्चात उन्हें सांस लेने के लिए सतह पर आना ही होता है। सील के शिकार के लिए छेद के मुहाने पर बैठे भालू को इसी पल का इंतज़ार रहता है और वे सील का शिकार कर भोजन प्राप्त करते हैं। बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण अब लंबे समय तक बर्फ नहीं जमती और सील के शिकार के लिए भालू को खूब भटकना पड़ता है जिससे वे भूखे और कमज़ोर हो जाते हैं और समुद्री किनारों पर भोजन खोजने लगते हैं। सील के शिकार से भालुओं को अत्यधिक वसा मिलती है जो उन्हें वर्ष के बाकी समय भूखा रहने पर भी बचा लेती है।
आर्कटिक में हाल के दशकों में तापमान बढ़ा है। 1981 की तुलना में 2010 में गर्मियों के दौरान बर्फ 13 प्रतिशत कम रही। आर्कटिक के वे स्थान जहां पहले गर्मियों में भी बर्फ पाई जाती थी, वहां बर्फ गायब है। डॉ. मोलनर और सहयोगियों ने ध्रुवीय भालू की 13 उप-आबादियों, जो कुल ध्रुवीय भालू की आबादी का 80 प्रतिशत है, पर अध्ययन करके भालुओं की ऊर्जा आवश्यकता पता की। जैसे, मादा भालू अकेले रहने या बच्चे पालने के दौरान कितने दिनों तक भूखा रह सकती है?
वैश्विक गरमाहट की इसी दर और बर्फ न जमने वाले दिनों को जोड़कर वर्ष 2100 के जलवायु-मॉडल अनुमानों को एक साथ देखने पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि 2100 में भालूओं को लंबे समय तक भूखा रहना पड़ेगा जो उनकी बर्दाश्त के बाहर होगा। भालुओं के लिए एक समय ऐसा भी आएगा जब भुखमरी के कारण वे ऊर्जा विहीन हो जाएंगे। ऐसे में भोजन खोजना तथा प्रजनन के लिए साथी खोजना और कठिन हो जाएगा एवं अनेक उप-आबादियां खत्म हो जाएगी। पिछले कुछ सालों में भालू वैकल्पिक खाद्य स्रोत के रूप में व्हेल को भोजन बनाकर ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं किंतु वैश्विक गरमाहट के कारण व्हेल भी मिलना बंद हो जाएगी। स्थिति इतनी गंभीर है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का स्तर सामान्य रहा तो भी ध्रुवीय भालुओं का बचना असंभव है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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