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कोविड-19 वायरस: एक सचित्र परिचय

मारी पृथ्वी पर हज़ारों तरह के कोरोनावायरस रहते हैं। उनमें से चार तरह के वायरस सामान्य सर्दी-ज़ुकाम के लिए ज़िम्मेदार हैं। अन्य दो तरह के वायरस कुछ समय पहले अपना प्रकोप फैला चुके हैं: 2002 में एक तरह के कोरोनोवायरस से सार्स फैला था जिससे दुनिया भर में लगभग 770 से अधिक लोगों की मृत्य हो गई थी, और 2012 में एक अन्य वायरस मर्स नामक रोग का कारण बना था जिससे लगभग 800 लोगों की मृत्यु हुई थी। सार्स तो खैर एक साल के भीतर खत्म हो गया लेकिन मर्स अभी भी बना हुआ है।

और अब यह नवीन कोरोनावायरस सार्स-कोव-2 सामने आया है। यह वायरस एक बार किसी व्यक्ति को संक्रमित कर दे तो यह लंबे समय तक बिना नज़र में आए टिका रह सकता है। यही वजह है कि इसने एक अत्यंत घातक महामारी को जन्म दिया है। जब कोई व्यक्ति सार्स कोरोनोवायरस से संक्रमित होता था तो रोग के लक्षण (बुखार और सूखी खांसी) दिखने के 24 से 36 घंटे बाद तक, वह सार्स वायरस अन्य किसी व्यक्ति में नहीं फैलाता था; इससे होता यह था कि बीमारी महसूस करने पर व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों को संक्रमित करने के पहले ही अलग-थलग किया जा सकता था।

लेकिन सार्स-कोव-2 वायरस से संक्रमण के मामले में, स्पष्ट लक्षण दिखने के पहले ही वायरस अन्य लोगों में फैल सकते हैं। जिन संक्रमित लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते, वे कार्यस्थलों, दुकानों, समारोह वगैरह में शामिल होकर छींक-खांसी और यहां तक कि ज़ोर से बोलकर निकलने वाले थूक के बारीक कणों के माध्यम से यह वायरस हवा में छोड़ते हैं।

सार्स-कोव-2 मानव शरीर में इतने लंबे समय तक बिना पहचाने इसलिए मौजूद रह सकता है क्योंकि इसका जीनोम एक ऐसा प्रोटीन बनाता है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को चेतने में देरी के लिए ज़िम्मेदार होता है। इस देरी के दरम्यान, वायरस चुपके से अपनी प्रतिलिपियां बनाना शुरू कर देता है और हमारे फेफड़ों की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जब तक हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के हमले के बारे में पता चलता है तब तक तो यह काफी संख्या वृद्धि कर चुका होता है। अंतत: जब प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण की त्राहिमाम सुनती है, तो वह अति सक्रिय हो जाती है और उन्हीं कोशिकाओं का दम घोंट डालती है जिन्हें बचाने वह निकली थी।

साइंटिफिक अमेरिकन में प्रकाशित एक चित्रांकन विस्तारपूर्वक बताता है कि कैसे सार्स-कोव-2 मानव कोशिका में प्रवेश करता है, अपनी प्रतिलिपियां बनाता है, जो अन्य कोशिकाओं में प्रवेश करता है, और संक्रमण फैलता चला जाता है।

यहां बताया गया है कि आम तौर पर प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे अन्य वायरसों को बेअसर करती है, और कैसे सार्स-कोव-2 प्रतिरक्षा प्रणाली के इन प्रयासों को विफल कर फैलता रहता है।

यहां कुछ वायरस की आश्चर्यजनक क्षमताओं के बारे में भी बताया गया है। जैसे वायरस की अपनी प्रतिलिपियां बनाने की प्रक्रिया में होने वाले उत्परिवर्तनों को रोकने के लिए वायरस की प्रतियों त्रुटि सुधार की क्षमता।

यहां यह भी बताया गया है कि कैसे औषधि और टीके अब भी इन घुसपैठियों पर काबू पाने में सक्षम हो सकते हैं।

वायरस आक्रमण और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया

सार्स-कोव-2 किसी व्यक्ति में उसकी नाक या मुंह से प्रवेश करता है, और वायुमार्ग में तब तक घूमता रहता है जब तक कि वह फेफड़ों की कोशिकाओं के संपर्क में नहीं आ जाता। फेफड़ों की कोशिकाओं की सतह पर ACE2 ग्राही होते हैं। संपर्क में आने के बाद वायरस इन कोशिकाओं से बंधकर, इनके अंदर चला जाता है और कोशिका की मशीनरी का उपयोग कर खुद की प्रतिलिपियां बनाने लगता है। वायरस की ये प्रतिलिपियां (यानी नए वायरस) बाहर निकल कर अन्य कोशिकाओं में प्रवेश करती हैं और पुरानी कोशिकाओं को मरने के लिए छोड़ देती हैं। संक्रमित कोशिकाएं इन रोगजनकों को नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को चेतावनी-संदेश भेजती हैं लेकिन वायरस इन संकेतों को रोक देते हैं और संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने से पहले ही वायरस को काफी संख्या वृद्धि करके फैलने की मोहलत मिल जाती है।

औषधियां और टीके

कोविड-19 से लड़ने में विभिन्न प्रयोगशालाएं 100 से अधिक दवाओं का परीक्षण कर रही हैं। इनमें से अधिकांश औषधियां सीधे-सीधे वायरस को नष्ट नहीं करतीं बल्कि इनकी राह में बाधा उत्पन्न करती हैं ताकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण का खात्मा करने का समय मिल जाए। एंटीवायरल औषधियां या तो वायरस को फेफड़े की कोशिका से जुड़ने से रोकती हैं, या यदि वायरस कोशिका में प्रवेश कर चुका है तो उसे प्रतिलिपियां बनाने से रोकती हैं, या प्रतिरक्षा प्रणाली की उस अति-प्रतिक्रिया को कम करती हैं जिससे संक्रमित लोगों में गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं। दूसरी ओर, टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को भविष्य में संक्रमण से जल्दी और प्रभावी रूप से लड़ने के लिए तैयार करते हैं।

कोरोनावायरस जीनोम

सार्स-कोव-2 का जीनोम आरएनए के रूप में है, जो लगभग 29,900 क्षारों से बनी एक लंबी शृंखला है – यह वायरस आरएनए की लंबाई की लगभग अधिकतम सीमा है। इन्फ्लुएंज़ा वायरस के आएनए में लगभग 13,500 क्षार होते हैं, और सामान्य सर्दी-ज़ुकाम के राइनोवायरस में लगभग 8,000 क्षार होते हैं। (क्षार ऐसे यौगिकों की जोड़ियां हैं जो आरएनए और डीएनए के निर्माण की इकाइयां होती हैं)। चूंकि जीनोम इतना लंबा है इसलिए संभावना है कि इसकी प्रतिलिपियां बनते समय कई ऐसे उत्परिवर्तन हों, जो वायरस को पंगु कर दें। लेकिन सार्स-कोव-2 वायरस की खासियत है कि वह प्रतिलिपियों में हुई त्रुटियों की जांच कर सकता है और उनकी मरम्मत कर सकता है। यह खासियत मानव कोशिकाओं और डीएनए आधारित वायरस में आम होती है लेकिन आरएनए आधारित वायरस में यह खासियत होना बहुत असामान्य बात है। इस लंबे जीनोम में कुछ सहायक जीन भी होते हैं, जिन्हें हम पूरी तरह से समझ में नहीं पाए हैं। इनमें से कुछ सहायक जीन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को रोकने में वायरस की मदद करते होंगे। (स्रोत फीचर्स)


सार्स-कोव-2 वायरस-कण का व्यास करीब 100 नैनोमीटर होता है और इसे सिर्फ इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है। यह एक लिपिड-झिल्ली में कैद प्रोटीन का गोला होता है। अंदर आरएनए (यानी वायरस के जेनेटिक कोड) का एक सूत्र होता है। S प्रोटीन इसकी सतह पर कांटे (स्पाइक) के रूप में उभरे होते हैं और इसे मनुष्य की कोशिका से चिपकने में मदद करते हैं। इनकी मदद से वायरस कोशिका के अंदर चला जाता है। इसकी सतह के मुकुटनुमा रूप (कोरोना) से ही इसका नाम कोरोनावायरस पड़ा है।

फेफड़ों की कोशिका से जुड़ना
जब किसी वायरस का स्पाइक प्रोटीन कोशिका के ACE2 ग्राही से जुड़ता है तो प्रोटीएज़ एंजाइम उसके स्पाइक के सिर को अलग कर देता है। इससे स्पाइक के डंठल में Ïस्प्रग की तरह दबी पड़ी संलयन मशीनरी कोशिका की सतह से पकड़ बनाने के लिए खुल जाती है। सामान्य रूप से ACE2 रक्तचाप का नियमन करता है।

फेफड़ों में प्रवेश
फेफड़ों की कोशिका झिल्ली से जुड़ने के बाद वायरस का आएनए कोशिका में प्रवेश कर जाता है।
 
सरकलम होने पर संलयन मशीनरी खुल जाती है…                    संलयन मशीनरी कोशिका झिल्ली में धंस जाती है

वायरस अपनी प्रतिलिपियां बनाता है…
कोशिका में प्रवेश करके वायरस का आरएनए  कोशिका के राइबोसोम के समक्ष दो दर्जन जीन प्रस्तुत करता है। राइबोसोम इन जीन्स के अनुसार प्रोटीन बनाता है। इनमें से कुछ प्रोटीन एक सुरक्षित पुटिका बनाते हैं। वायरस पुटिका में बैठे-बैठे खुद के आरएनए की मदद से अपनी प्रतिलिपियां बनाता है। इनमें से कुछ प्रतिलिपियां तो वायरस प्रोटीन बनाने के काम आती हैं। और शेष प्रतिलिपियां पूर्ण वायरस बनकर कोशिका से बाहर आ जाती हैं।


नए-नवेले वायरस से भरी पुटिकाओं का कोशिका झिल्ली के साथ विलय हो जाता है, वायरसों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है। एक-एक कोशिका सैकड़ों वायरस छोड़ सकती है। कोशिका स्वयं मर जाती है क्योंकि उसके सारे संसाधन तो वायरस बनाने में खप गए हैं। या फिर प्रतिरक्षा तंत्र ऐसी कोशिकाओं को मार डालता है। कुछ वायरस नई कोशिकाओं को संक्रमित करने निकल पड़ते हैं, कुछ सांस के साथ हवा में पहुंच जाते हैं।

प्रतिरक्षा तंत्र
संक्रमण शुरू होते ही सहज प्रतिरक्षा तंत्र फेफड़ों की कोशिकाओं को बचाने की कोशिश करता है। अनुकूली प्रतिरक्षा तंत्र ज़्यादा बड़ी प्रतिक्रिया की तैयारी करता है।
सहज प्रतिरक्षा प्रणाली
संक्रमित कोशिका इंटरफेरॉन रुाावित करती है, जो पड़ोसी कोशिकाओं को वायरस का प्रवेश रोकने की चेतावनी देता है। इंटरफेरॉन रक्त प्रवाह में मौजूद मेक्रोफेज कोशिकाओं को भी सावधान करता है जो वायरस को निगल सकती हैं।

अनूकूली प्रतिरक्षा प्रणाली
इंटरफेरॉन एंटीबॉडी बनाने वाली बी कोशिकाओं को भी सचेत करता है। ये स्पाइक प्रोटीन से जुड़कर स्पाइक को कोशिका से जुड़ने नहीं देतीं। इंटरफेरॉन टी कोशिकाओं को भी सुरक्षा कार्य में तैनात करता है। हो सकता है ये स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर उससे जुड़ जाएं ताकि वह कोशिका झिल्ली से न जुड़ सके। इंटरफेरॉन टी कोशिकाओं को भी लामबंद करता है जो वायरस को मार सकती हैं और वायरसों के बाहर निकलने से पहले ही संक्रमित कोशिका को भी मारती हैं ताकि वायरस अन्य कोशिकाओं को संक्रमित ना कर पाए। कुछ बी और टी कोशिकाएं स्मृति कोशिकाएं भी बन जाती हैं जो अगली बार वायरस को पहचानकर तुरंत नष्ट कर सकती हैं।

वायरस के पास बचाव के तरीके
सार्स-कोव-2 वायरस हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नाकाम करने के लिए कई हथकंडे अपनाता है।

टीके के विकल्प
टीके हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को सुरक्षित रूप वायरस के संपर्क में लाते हैं। इस संपर्क के ज़रिए प्रतिरक्षा तंत्र वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का अभ्यास करता है और भविष्य के लिए इसे अपनी स्मृति में सहेज लेता है। टीका बनाने वाले कई रणनीतियों पर काम कर रहे हैं।
टीका निर्माण की रणनीतियां
वैज्ञानिक टीका बनाने के लिए कम से कम 6 रणनीतियों पर काम कर रहे हैं

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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