जैसे-जैसे नए कोरोनोवायरस का प्रकोप दुनिया में फैल रहा है, लोगों को हिदायत दी जा रही है कि वे एक-दूसरे से कम-से-कम 6 फीट दूर रहें, अपने हाथों को धोते रहें और अपने चेहरे को छूने से बचें। और लोग इन हिदायतों का पालन करने की कोशिश भी कर रहे हैं।
लेकिन नाक-आंख वगैरह में होने वाली खुजली नज़रअंदाज करने की हिदायत देना आसान है, नज़रअंदाज़ करना नहीं। यहां तक हिदायत देने वाले भी इसके आवेग में अपने को रोक नहीं पाते। 2015 में, अमेरिकन जर्नल ऑफ इंफेक्शन कंट्रोल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक संक्रामक रोग की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्कूल के छात्रों ने एक व्याख्यान के दौरान एक घंटे में 23 बार अपने चेहरे को छुआ।
तो सवाल यह उठता है कि खुद को अपना चेहरा छूने से रोकना इतना मुश्किल क्यों है? लोग अक्सर दांतों की सफाई, बालों को संवारने, मेक-अप करने जैसे कामों के चलते अपना चेहरा छूते रहते हैं। दिनचर्या में शामिल चेहरा छूने की ये आदतें फिर आपको निरुद्देश्य ढंग से चेहरा छूने को प्रेरित करती हैं, जैसे आंखों को मसलना।
यह प्रवृत्ति सिर्फ आदत की बात भी नहीं है। केनटकी सेंटर फॉर एन्गज़ाइटी एंड रिलेटेड डिसऑर्डर्स के संस्थापक-निदेशक और मनौवैज्ञानिक केविन चैपमैन लाइव साइंस में बताते हैं कि “यह इस बात को सुनिश्चित करने की आदत है कि हम सार्वजनिक तौर पर कैसे दिख रहे हैं।” उदाहरण के लिए, मुंह के आसपास भोजन के अंश लगे होना यह दर्शा सकता है कोई व्यक्ति गंदा है या वह अपनी प्रस्तुति का ध्यान नहीं रखता है। अपने चेहरे को छूकर लोग खुद को संवार सकते हैं और यह भी दर्शा सकते हैं कि वे स्वयं के प्रति जागरूक हैं।
हालांकि चेहरे को छूना कई लोगों में एक बुरी आदत बन जाती है जो चिंताग्रस्त लोगों में और भी बुरी साबित हो सकती है। चैपमैन कहते हैं कि उच्च स्तर के न्यूरोटिज़्म वाले लोग तनाव को कम करने के लिए दोहराव वाले व्यवहार करते हैं। जैसे नाखून चबाना या बालों में हाथ फेरना वगैरह। यह व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है, जैसे हो सकता है इसकी वजह से उसे अन्य लोगों के साथ जुड़ाव बनाने में दिक्कत हो या वह शक्तिहीन या लज्जित महसूस करे। ब्रेन रिसर्च में प्रकाशित एक छोटे नमूने पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, कम गंभीर स्तर पर, लोग तनाव के समय में खुद को शांत रखने के लिए अपने चेहरे को छूते हैं।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, नए कोरोनावायरस से संक्रमित होने का मुख्य कारण चेहरा छूना नहीं है। फिर भी, सीडीसी नाक, मुंह या आंखों को ना छूने की सलाह देता है क्योंकि यह वायरस इस तरह से फैलता है। और यदि आपने किसी संक्रमित या दूषित सतह को छुआ है तो हाथों को साबुन और पानी से धोना या हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना कदापि ना भूलें।
चैपमैन बताते हैं कि जब लोग अपना चेहरा ना छूने के लिए सतर्क होते हैं तो संभावना होती है कि वे सामान्य से अधिक बार अपना चेहरा छू लें। जैसे किसी व्यक्ति को गुलाबी हाथी के बारे में ना सोचने को कहा जाए और वह तुरंत ही गुलाबी हाथी के बारे में सोचने लगता है। इस आदत को छोड़ने के लिए यह सोचें कि आप कब-कब अपना चेहरा छूते हैं, लेकिन यदि आप अपने आपको चेहरा छूते हुए पाएं तो खुद को इसकी सज़ा ना दें।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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