फ्लेमिंग ने 1928 में पेनिसिलीन एंटीबायोटिक की खोज करके संक्रामक रोगों से लड़ने का रास्ता दिखाया था। एंटीबायोटिक दवाएं संक्रामक रोगों के उपचार में रामबाण साबित हुर्इं। लेकिन अब ये जीवनरक्षक दवाएं सूक्ष्मजीव प्रतिरोध के चलते बेअसर हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, पिछले कुछ दशकों में इनका बहुत दुरुपयोग और बेजा इस्तेमाल हुआ है।
एंटीबायोटिक दवाओं के बैक्टीरिया पर घटते असर के मद्देनज़र पिछले कुछ वर्षों से वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धि (एआई) की मदद से नए किस्म की दवाओं की खोज करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि प्रतिरोधी बैक्टीरिया का खात्मा किया जा सके। हाल ही में इस दिशा में एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। अमेरिका के मैसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने एआई की मदद से एक नया और शक्तिशाली एंटीबायोटिक तैयार किया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस एंटीबायोटिक से तमाम घातक बीमारियां पैदा करने वाले बैक्टीरिया को भी मारा जा सकता है। इस एंटीबायोटिक से उन सभी बैक्टीरिया का खात्मा किया जा सकता है जो ज्ञात एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी हो चुके हैं।
इस नए एंटीबायोटिक को हेलिसिन नाम दिया गया है। इसका परीक्षण कई बैक्टीरिया पर किया गया है। परीक्षण में हेलिसिन इन सभी जीवाणुओं को मारने में सफल रहा है। एसीनेटोबैक्टर बॉमनी एक ऐसा जीवाणु है जिस पर ज़्यादातर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर साबित होती हैं लेकिन हेलिसिन 24 घंटों में इस जीवाणु के संक्रमण को कम कर देता है। पूर्व अनुसंधान में यह देखा गया था कि ई. कोली नामक बैक्टीरिया एक से तीन दिन के भीतर ही प्रचलित एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लॉक्सेसिन का प्रतिरोधी होने लगता है और 30 दिन में सिप्रोफ्लॉक्सेसिन बिलकुल बेअसर हो जाता है। हेलिसिन ई. कोली बैक्टीरिया को भी खत्म कर सकता है। एमआईटी की रिसर्च टीम के जेम्स कॉलिन का कहना है कि हेलिसिन का इस्तेमाल फिलहाल चूहों पर किया गया है। जल्दी ही इंसानों पर परीक्षण किए जाएंगे।
कॉलिन का कहना है कि वे एआई की मदद से ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जिससे नए किस्म की दवा की खोज हो सके। शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान के मुकाबले एआई की मदद से कम समय में और बेहतर शोध किया जा सकता है। इससे चंद दिनों में 10 करोड़ से ज़्यादा रसायनों की जांच हो सकती है। वैज्ञानिक एआई का इस्तेमाल करके दवाओं की कीमत कम करने के अलावा ऐसे अणु तैयार कर रहे हैं जिनसे जटिल बीमारियों का इलाज मुमकिन हो सके।
एमआईटी के वैज्ञानिकों ने एआई की मदद से 800 प्राकृतिक उत्पादों का एक सेट बनाया है। 6000 यौगिकों में से एक ऐसे अणु की पहचान करने में कामयाबी मिली जो बैक्टीरिया का सफाया करने में कारगर रहा।
पिछले कुछ दशकों में बहुत कम नए एंटीबायोटिक्स विकसित किए गए हैं और ये प्राय: मौजूदा दवाओं से थोड़े ही अलग हैं। दूसरी ओर, बैक्टीरिया कहीं तेज़ी से इनके खिलाफ प्रतिरोधी हो रहे हैं। ऐसे में हेलिसिन एक नई उम्मीद जगाता है। वैज्ञानिक हेलिसिन के आधार पर बेहतर एंटीबायोटिक्स दवाएं विकसित करने में जुटे हैं, और इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि इनसे पाचन तंत्र में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया को नुकसान न पहुंचे।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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