शायद पहली बार एक यूएस न्यायाधीश ने सार्वजनिक डीएनए डैटाबेस, GED match, को आदेश दिया है कि वह पुलिस को उसके पास उपलब्ध 13 लाख डीएनए प्रोफाइल को खंगालने दे। वास्तव में यह अनुमति एक आदतन बलात्कारी को पकड़ने के लिए दी गई है। पुलिस चाहती है कि बलात्कारी व्यक्ति के दूर के रिश्तेदारों की जानकारी प्राप्त हो जाए ताकि संदिग्ध व्यक्ति को पहचाना जा सके।
उपभोक्ताओं का मानना है कि इस तरह के अधिकार मिलने से ancestry.com और 23and Me ग्ड्ढ जैसी डीएनए साइट्स पर भी पुलिस द्वारा खोज की संभावना बन सकती है। गौरतलब है कि कंपनी की इन साइट्स पर लोग स्वेच्छा से अपने डीएनए का नमूना जमा करते हैं और यह जानकारी गोपनीय रहती है।
पुलिस ने पहले भी अपराध स्थल से मिले डीएनए की GEDmatch डैटाबेस से तुलना करके कई अन्य मामलों को सुलझाया है। लेकिन उपभोक्ताओं में इसकी वास्तविक चिंता डैटा की गोपनीयता को लेकर है। साथ ही ऐसी आशंका भी है कि जिन रिश्तेदारों ने कभी डीएनए परीक्षण नहीं करवाया है वो भी संदेह के दायरे में आ सकते हैं। ज्ञात रहे कि इससे पहले GEDmatch केवल उन्हीं लोगों के डीएनए प्रोफाइल उपलब्ध कराती थी जिसकी सहमति खुद लोगों ने दी थी। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने भी एक संशोधन जारी करके केवल हिंसक अपराधों और उपभोक्ताओं की अनुमति से ही जानकारी देने की व्यवस्था कर दी। ताज़ा आदेश इस सबको अनदेखा करके आया है।
मेरीलैंड केरी स्कूल ऑफ लॉ की प्रोफेसर नताली रैम से साक्षात्कार में कुछ बातें सामने आई हैं। इस मामले को एक विशेष परिस्थिति के रूप में लिया जा सकता है। लेकिन यदि 13 लाख लोगों के डैटाबेस में 60 प्रतिशत युरोपीय मूल के अमेरिकी हैं जिनका दूर का चचेरा भाई या बहन या कोई करीबी रिश्तेदार इस डैटाबेस में है तो उसको ट्रैक करना काफी आसान हो जाएगा। इस संदर्भ में केवल डीएनए के आधार पर कुछ गुनहगारों को पकड़ने के लिए पुलिस एजेंसियों के हाथ कई बेगुनाह लोगों का डीएनए होगा।
हालांकि GEDmatch तो एक छोटा मोटा डैटाबेस है लेकिन 23and Me और ancestry.com जैसी अन्य कंपनियों के पास यदि कोई ऐसा वारंट आता है तो वे इसे चुनौती देने के लिए तैयार हैं।
यदि कोई कंपनी इस वारंट का अनुपालन करने से मना कर देती है तब इस वारंट पर और अधिक कार्य किया जाएगा ताकि इसको वैध बनाया जा सके। वैकल्पिक रूप से यदि कंपनियां जानकारी दे भी देती हैं और किसी व्यक्ति के अभियोजन की संभावना भी बनती है तो व्यक्ति गैर-कानूनी खोज के खिलाफ आवाज़ उठाकर वारंट पर ही सवाल उठा सकता है। नताली का मानना है कि यह प्रक्रिया काफी जटिल है। इस विषय में यह स्पष्ट नहीं है कि डीएनए कंपनी या अपराधी गोपनीयता के अधिकार के तहत इस वारंट को चुनौती दे सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में प्रभावी ढंग से वारंट को चुनौती देना मुश्किल है।
नताली का ऐसा मानना है कि यदि इस तरह के वारंट जारी होते रहे तो डीएनए डैटा रखने वाली साइट्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसमें सबसे पहले तो सार्वजनिक आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है। एक रास्ता है कि एक कानून बना दिया जाए जिसके तहत शासकीय एजेंसियों द्वारा फॉरेंसिक वंशावली खोजों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा आनुवंशिक वंशावली की खोज पर कुछ सीमाएं लगाई जा सकती हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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