कार कंपनियां काफी संख्या में बिजली-चालित वाहन (ईवी) बेच रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहन की सबसे बड़ी समस्या इसके चार्ज होने का समय है। पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले वाहनों में जहां कुछ ही मिनटों में र्इंधन भरा सकता है, वहीं बिजली से चलने वाले वाहनों को सुपरचार्जर की मदद से चार्ज होने में भी 50 मिनट तक का समय लग जाता है। लेकिन एक नई तकनीक के उपयोग से इसमें बदलाव आ सकता है।
बैटरी चार्जिंग की गति को बढ़ाने का एक तरीका तो यह है कि चार्जिंग के दौरान बैटरी का तापमान बढ़ाकर रखा जाए। तापमान बढ़ने पर बैटरी के अंदर की रासायनिक अभिक्रियाएं तेज़ हो जाती हैं। लेकिन उच्च तापमान पर बैटरी के घटक जल्दी खराब हो सकते हैं।
अब शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक खोज निकाली है। उनके अनुसार यदि चार्जिंग के दौरान बैटरी का तापमान बीच-बीच में कुछ समय के लिए बढ़ाया जाए तो घटकों के बिगड़ने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है और चार्जिंग भी तेज़ी से किया जा सकता है। एक चार्जिंग उपकरण को केवल 10 मिनट के लिए 60 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करके वे लीथियम आयनों को ग्रेफाइट की परतों में शामिल करने में कामयाब रहे। एनोड का संघटन यही होता है। यह बैटरी को रिचार्ज करने का प्रमुख चरण होता है। जूल पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यदि इस प्रक्रिया को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सके तो पारंपरिक लीथियम आयन बैटरियों की ड्राइविंग रेंज को 320 किलोमीटर बढ़ाया जा सकता है। परीक्षण के दौरान गर्म की गई बैटरियां काफी स्थिर रहीं और 1700 बार चार्ज-डिस्चार्ज करने के बाद भी उनमें ज़्यादा बिगाड़ नहीं हुआ।
आगे शोधकर्ता चार्जिंग समय को और कम करके आधा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बिजली चालित वाहनों को 5 मिनट में चार्ज किया जा सके। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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