ब्लैक होल विशाल खगोलीय पिंड हैं जो आसपास की हर चीज़ को निगल जाते हैं। इनका गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि प्रकाश तक इससे बच नहीं सकता। ब्लैक होल मूलत: विशाल तारे ही थे जो विस्फोटक अंत के बाद ब्लैक होल में परिवर्तित हुए हैं, इसलिए इनके अध्ययन से ब्रह्मांड के कामकाज और तारों के जन्म और मृत्यु की गाथा तैयार करने में मदद मिलती है।
तारों के ऐसे विस्फोटक अंत और पतन के बाद दो अलग-अलग तरह के पिंड बन सकते हैं। यदि मूल तारा पर्याप्त विशाल था, तो विस्फोट के बाद वह ब्लैक होल बन जाता है, अन्यथा वह एक छोटे न्यूट्रॉन तारे में परिवर्तित हो जाता है।
ब्लैक होल जब अपने आसपास के तारों से पदार्थ चूसते हैं तब एक्स किरणों का उत्सर्जन होता है। इन्हीं एक्स किरणों की मदद से ब्लैक होल का पता चलता है। दूसरी ओर, दूर की निहारिकाओं में, दो ब्लैक होल के विलय या न्यूट्रॉन तारों की टक्कर से उत्पन्न होने वाली गुरुत्व तरंगें इनका सुराग देती हैं।
शोधकर्ताओं के एक समूह ने सोचा कि क्या अपेक्षाकृत कम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल भी हो सकते हैं जो लाक्षणिक एक्स-किरणों का उत्सर्जन नहीं करेंगे। एक संभावना यह है कि ऐसा कोई (फिलहाल काल्पनिक) ब्लैक होल किसी अन्य तारे के साथ बाइनरी तंत्र में मौजूद हो। इसमें वह दूसरे तारे से इतना दूर हो सकता है कि वह उसके पदार्थ को ज़्यादा न निगल सके। ये छोटे ब्लैक होल इतनी एक्स-किरणों का उत्सर्जन नहीं करेंगे जिन्हें देखा जा सके। तो ये खगोलविदों की नज़रों से अदृश्य रहेंगे।
थॉमसन की टीम ने ऐसे संभावित ब्लैक होल की तलाश में बाइनरी सिस्टम के उस दूसरे पिंड में सबूत खोजने की कोशिश की है। शोधकर्ताओं ने एपोजी दूरबीन में उपलब्ध प्रकाश वर्णक्रम की जानकारी को खंगाला। यहां आकाशगंगा के 1 लाख से अधिक तारों द्वारा उत्सर्जित विभिन्न तरंग लंबाइयों के प्रकाश सम्बंधी जानकारी थी।
इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी से प्रत्येक तारे के बदलते वर्णक्रम यानी उनसे निकलने वाले प्रकाश में बदलती तरंग लंबाइयों का पता चला। यदि शोधकर्ता वर्णक्रम में किसी भी प्रकार का बदलाव देखते यानी यदि उसकी तरंग लंबाइयां लाल या नीले रंग की ओर खिसकती दिखती तो इसका मतलब यह होता कि वह तारा एक अनदेखे साथी के साथ परिक्रमा कर रहा है।
इसके बाद, शोधकर्ताओं ने एक अन्य सर्वेक्षण आल-स्काई ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवा की मदद से उन तारों की चमक में बदलाव को देखा जिनके बारे में संदेह था कि वे ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहे हैं। उन्होंने उन तारों की खोज की जिनका प्रकाश लाल और नीले की ओर सरकने के साथ-साथ तेज़-मद्धिम भी हो रहा था।
इस प्रकार शोधकर्ताओं ने पाया कि आकाशगंगा में 10,000 प्रकाश वर्ष दूर औरिगा तारामंडल के पास एक तारा है जो किसी एक विशाल अदृश्य पिंड के साथ गुरुत्वाकर्षण से बंधा लगता है। अनुमान है कि उस अदृश्य पिंड का द्रव्यमान सूर्य से 3.3 गुना अधिक होगा। यह एक न्यूट्रॉन तारे की तुलना में काफी बड़ा है लेकिन इतना भी बड़ा नहीं कि इसकी तुलना किसी ज्ञात ब्लैक होल से की जा सके। सबसे बड़े ज्ञात न्यूट्रॉन स्टार का द्रव्यमान सूर्य से 2.1 गुना ज़्यादा है जबकि सबसे छोटा ज्ञात ब्लैक सूर्य के मुकाबले 5-6 गुना वज़नी है।
ब्रह्मांड विज्ञानी डेजन स्टोकोविक का विचार है कि यह शायद कम द्रव्यमान का ब्लैक होल है। दूसरी ओर थॉमसन का विचार है कि यह संभवत: आज तक ज्ञात सबसे वज़नी न्यूट्रॉन स्टार है। इतना तो तय है कि यह एक आसाधारण तारा है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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