आखिरकार जिस दिन का हम सबको डर था वह जल्द ही आ सकता है। एक हालिया अध्ययन से मालूम चला है कि तिलचट्टे धीरे-धीरे अजेय होते जा रहे हैं। अध्ययनों के अनुसार कम से कम जर्मन तिलचट्टा (Blattella germanica) लगभग हर तरह के रासायनिक कीटनाशकों के प्रति तेज़ी से प्रतिरोध विकसित कर रहा है।
गौरतलब है कि सभी कीटनाशक एक समान क्रिया नहीं करते। कुछ तंत्रिका तंत्र को नष्ट करते हैं, जबकि अन्य बाहरी कंकाल पर हमला करते हैं और उन्हें अलग-अलग अवधि तक छिड़कना होता है। लेकिन तिलचट्टे सहित कई कीड़ों ने सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर लिया है। तिलचट्टे का जीवन लगभग 100 दिनों का होता है, इसलिए प्रतिरोध तेज़ी से फैल सकता है। सबसे ज़्यादा प्रतिरोधी काकरोचों का प्रतिरोधी जीन अगली पीढ़ी को मिल जाता है।
जर्मन तिलचट्टे में प्रतिरोध का परीक्षण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 6 महीनों तक इंडियाना और इलिनॉय में कई इमारतों में तीन अलग-अलग तिलचट्टा कॉलोनियों का चयन किया किया। उन्होंने तिलचट्टों की आबादी पर तीन अलग-अलग कीटनाशकों – एबामेक्टिन, बोरिक एसिड और थियामेथोक्सैम – के खिलाफ प्रतिरोध स्तर की जांच की। एक उपचार में उन्होंने 3-3 महीने के दो चक्रों में एक-के-बाद-एक तीनों कीटनाशकों का उपयोग किया। अन्य उपचार में, शोधकर्ताओं ने पूरे 6 महीनों तक कीटनाशकों के मिश्रण का उपयोग किया। अंतिम उपचार में केवल एक रसायन का उपयोग किया गया जिसके प्रति तिलचट्टों की आबादी में कम प्रतिरोध था।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अलग-अलग उपचारों के बावजूद, अधिकतर तिलचट्टा आबादियों में समय के साथ कोई कमी देखने को नहीं मिली। ठीक यही स्थिति तब भी रही जब कई कीटनाशकों का मिलाकर इस्तेमाल किया गया। अक्सर कीट नियंत्रण में इसी तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। इन परिणामों से यह अनुमान लगाया गया कि तिलचट्टे तीनों रसायनों के खिलाफ तेज़ी से प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं। एक सकारात्मक बात यह दिखी कि यदि तिलचट्टों में निम्न स्तर का प्रतिरोध है तो एबामेक्टिन उपचार कॉलोनी के एक बड़े हिस्से को मिटा सकता है।
अगर इन निष्कर्षों को मान लिया जाए तो मात्र रसायनों से तिलचट्टों के प्रकोप का मुकाबला करना असंभव हो सकता है। शोधकर्ताओं के सुझाव में एकीकृत कीट प्रबंधन का उपयोग करना होगा। रसायनों के साथ-साथ पिंजड़ों, सतहों की सफाई या वैक्यूम से खींचकर इनको खत्म किया जा सकता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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