महासागरों में मौजूद कूड़े का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा प्लास्टिक है। यह प्लास्टिक अनगिनत समुद्री प्रजातियों को जोखिम में डाल रहा है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सूक्ष्मजीवों का पता लगाया है जो प्लास्टिक को धीरे-धीरे तोड़कर को खा रहे हैं। इसके चलते कचरा विघटित हो रहा है।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने यूनान के चानिया के दो अलग-अलग समुद्र तटों से मौसम के कारण खराब हुए प्लास्टिक को एकत्र किया है। यह कूड़ा धूप के संपर्क में आकर रासायनिक परिवर्तनों से गुज़र चुका था जिसके कारण यह अधिक भुरभुरा हो गया था। सूक्ष्मजीवों द्वारा प्लास्टिक को कुतरने से पहले उसका भुरभुरा होना ज़रूरी है।
प्लास्टिक के टुकड़े या तो किराने के सामान में उपयोग होने वाले पोलीथीन के थे या खाद्य पैकेजिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स में पाए जाने वाले कठोर प्लास्टिक पोलीस्टायरीन। शोधकर्ताओं ने दोनों को नमकीन पानी में डाल दिया। और साथ में या तो प्राकृतिक रूप से मौजूद समुद्री सूक्ष्मजीव डाले या विशेष रूप से तैयार किए गए कार्बन-भक्षी सूक्ष्मजीव डाल दिए। ये सूक्ष्मजीव पूरी तरह से प्लास्टिक में मौजूद कार्बन पर जीवित रह सकते थे। वैज्ञानिकों ने 5 महीनों तक सामग्री में हो रहे बदलावों का विश्लेषण किया।
जर्नल ऑफ हैज़ार्डस मटेरियल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक और तकनीकी रूप से विकसित सूक्ष्मजीवों, दोनों के संपर्क में आने के बाद प्लास्टिक के वज़न में काफी कमी देखी गई। सूक्ष्मजीवों ने सामग्री की रासायनिक संरचना को और भी बदला जिससे पोलीथीन का वज़न 7 प्रतिशत और पोलीस्टायरीन का वज़न 11 प्रतिशत कम हो गया।
ये परिणाम समुद्री प्रदूषण से निपटने में काफी मददगार सिद्ध हो सकते हैं। संभवत: प्लास्टिक कचरा खाने के लिए समुद्री सूक्ष्मजीवों को तैनात किया जा सकता है। वैसे अभी यह देखना शेष है कि इन सूक्ष्मजीवों का विश्व स्तर पर क्या असर होगा।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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