किसी कल्पित एलियन सभ्यता द्वारा यात्रा करने के तरीके क्या होंगे? कोलंबिया विश्वविद्यालय के एक खगोल विज्ञानी ने कुछ अटकल लगाई है। उनके अनुसार एलियन इसके लिए बायनरी ब्लैक होल पर लेज़र से गोलीबारी करके ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। गौरतलब है कि बायनरी ब्लैक होल एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं। दरअसल, यह नासा द्वारा दशकों से इस्तेमाल की जा रही तकनीक का ही उन्नत रूप है।
फिलहाल अंतरिक्ष यान सौर मंडल में ग्रेविटी वेल का उपयोग गुलेल के रूप में करके यात्रा करते हैं। पहले तो अंतरिक्ष यान ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और अपनी गति बढ़ाने के लिए ग्रह के करीब जाते हैं। जब गति पर्याप्त बढ़ जाती है तो इस ऊर्जा का उपयोग वे अगले गंतव्य तक पहुंचने के लिए करते हैं। ऐसा करने में वे ग्रह के संवेग को थोड़ा कम कर देते हैं, लेकिन यह प्रभाव नगण्य होता है।
यही सिद्धांत ब्लैक होल के आसपास भी लगाया जा सकता है। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक होता है। लेकिन यदि कोई फोटॉन ब्लैक होल के नज़दीक एक विशेष क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो वह ब्लैक होल के चारों ओर एक आंशिक चक्कर पूरा करके उसी दिशा में लौट जाता है। भौतिक विज्ञानी ऐसे क्षेत्रों को ‘गुरुत्व दर्पण’ और ऐसे लौटते फोटॉन को ‘बूमरैंग फोटॉन’ कहते हैं।
बूमरैंग फोटॉन पहले से ही प्रकाश की गति से चल रहे होते हैं, इसलिए ब्लैक होल के पास पहुंचकर उनकी गति नहीं बढ़ती बल्कि उन्हें ऊर्जा प्राप्त हो जाती है। फोटॉन जिस ऊर्जा के साथ गुरुत्व दर्पण में प्रवेश लेते हैं, उससे अधिक उर्जा उनमें आ जाती है। इससे ब्लैक होल के संवेग में ज़रूर थोड़ी कमी आती है।
कोलंबिया के खगोलविद डेविड किपिंग ने आर्काइव्स प्रीप्रिंट जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में बताया है कि यह संभव है कि कोई अंतरिक्ष यान किसी बायनरी ब्लैक होल सिस्टम पर लेज़र से फोटॉन की बौछार करे और जब ये फोटॉन ऊर्जा प्राप्त कर लौटें तो इनको अवशोषित कर अतिरिक्त ऊर्जा को गति में परिवर्तित कर दे। पारंपरिक लाइटसेल की तुलना में यह तकनीक अधिक लाभदायक होगी क्योंकि इसमें ईंधन की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन इस तकनीक की भी सीमाएं हैं। एक निश्चित बिंदु पर अंतरिक्ष यान ब्लैक होल से इतनी तेज़ी से दूर जा रहा होगा कि वह अतिरिक्त गति प्राप्त करने के लिए पर्याप्त प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित नहीं कर पाएगा। अंतरिक्ष यान से पास के किसी ग्रह पर लेज़र को स्थानांतरित करके इस समस्या को हल करना संभव है: लेज़र को इस तरह सटीक रूप से निशाना लगाया जाए कि यह ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण से निकल कर अंतरिक्ष यान से टकराए।
किपिंग के अनुसार हो सकता है आकाशगंगा में कोई ऐसी सभ्यता हो जो यात्रा के लिए इस तरह की प्रणाली का उपयोग कर रही हो। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.livescience.com/65005-black-hole-halo-drive-laser.html