हाल ही में प्रमुख आणविक जीव विज्ञानी सिडनी ब्रेनर का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ। ब्रेनर युरोपियन मॉलीक्यूलर बायोलॉजी ऑर्गेनाइज़ेशन के संस्थापक सदस्य थे।
ब्रेनर की प्रमुख उपलब्धि यह रही कि उन्होंने एक कृमि सिनोरेब्डाइटिस एलेगेंस को मानव रोगों पर अनुसंधान का प्रमुख मॉडल जीव बनाया। इस कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2002 का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। ब्रेनर ने सी. एलेगेंस को एक मॉडल जीव के रूप में इसलिए चुना था क्योंकि यह बैक्टीरिया जैसे अन्य जीवों के मुकाबले अधिक जटिल है और इसका अध्ययन करना आसान है। उनके इसी कार्य का परिणाम है कि आज भी यह कृमि जीव विज्ञान में एक प्रमुख मॉडल जीव है और पिछले एक दशक में तकरीबन 15,000 शोध पत्रों में इसका ज़िक्र हुआ है।
ब्रेनर मेसेंजर (यानी संदेशवाहक) आरएनए की खोज में भी शरीक रहे। गौरतलब है कि कोशिकाओं में प्रोटीन निर्माण के निर्देश डीएनए नामक अणु के रूप में संचित होते हैं। इन निर्देशों के आधार पर प्रोटीन बनाने का काम संदेशवाहक आरएनए अणु करवाते हैं। संदेशवाहक मेसेंजर दरअसल डीएनए में उपस्थित सूचना को उस प्रणाली तक पहुंचाते हैं जो वास्तव में प्रोटीन बनाने का काम करती है।
ब्रेनर आणविक जेनेटिक विज्ञान की इस महत्वपूर्ण खोज में भी प्रमुखता से शामिल थे कि डीएनए का अणु तीन-तीन न्यूक्लियोटाइड की तिकड़ियों से बना होता है। ऐसी प्रत्येक इकाई को कोडॉन कहते हैं और प्रत्येक कोडॉन एक अमीनो अम्ल का संकेत होता है। इस तरह कोडॉन के क्रमानुसार अमीनो अम्ल व्यवस्थित हो जाते हैं और फिर जुड़कर प्रोटीन बनते हैं।
ब्रेनर विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से जुड़े रहे। वे प्रमुख रूप से सिंगापुर में वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े रहे और सिंगापुर की शोध क्षमता के निर्माण में प्रमुख योगदान दिया। गौरतलब है कि वे सिंगापुर के मानद नागरिक भी थे। (स्रोत फीचर्स)
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