बेकार है छुट्टियों की लंबी नींद

फ्ते भर की व्यस्त दिनचर्या के कारण लोगों को पूरी नींद नहीं मिल पाती है। नींद की कमी से डायबिटीज़ और दिल की बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। अक्सर लोग सप्ताह के अंत में देर तक सोकर हफ्ते भर की नींद की कसर पूरी करते हैं। लेकिन क्या सेहत पर पड़े असर की भरपाई एक-दो रोज़ की भरपूर नींद लेने से हो पाती है?

करंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक सिर्फ छुट्टियों में देर तक सोना या भरपूर नींद लेना, नींद की कमी के कारण सेहत पर पड़े नकारात्मक प्रभाव की भरपाई नहीं करते।

युनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो बोल्डर के केनेथ राइट और उनके साथियों ने छुट्टियों में देर तक सोने वाले लोगों पर स्वास्थ्य सम्बंधी अध्ययन किया। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि रोज़ाना की नींद की कमी के कारण सेहत पर पड़े नकारात्मक प्रभाव की भरपाई छुट्टियों में देर तक सोने से होती है या नहीं?

इस अध्ययन में उन्होंने युवाओं के तीन समूह बनाए। प्रत्येक समूह में 14 युवा प्रतिभागी थे। पहले समूह (समूह क) के प्रतिभागियों को हर दिन सिर्फ 5 घंटे की नींद लेनी थी। दूसरे समूह (समूह ख) में प्रतिभागियों को रोज़ तो सिर्फ 5 घंटे सोना था लेकिन उन्हें यह छूट थी कि वे छुट्टी के दिन भरपूर नींद ले सकते हैं। जबकि तीसरे समूह (समूह ग) को हर रोज़ भरपूर नींद (लगभग 9 घंटे) लेने को कहा गया। यह सिलसिला 9 दिन तक चला।

उन्होंने पाया की रोज़ाना नींद की कमी वाले समूह क के प्रतिभागियों ने भरपूर नींद वाले समूह ग की तुलना में ज़्यादा खाया, उनका वज़न भी बढ़ गया और वे इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील दिखे। इसके बाद समूह ख (जो रोज़ाना कम सोए थे मगर छुट्टी के दिन भरपूर सो सकते थे) के प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की जांच की तो शोधकर्ताओं ने पाया इस समूह के स्वास्थ्य पर पड़े असर पहले समूह जैसे ही हैं। यानी सप्ताह की नींद की भरपाई सप्ताहांत में ज़्यादा सोकर नहीं हो पाई थी। सेहतमंद रहने के लिए रोज़ाना भरपूर नींद ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)

 नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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