आजकल आवाज़/ऑडियो रिकॉर्ड करना और उसको दोबारा सुनना काफी आसान हो गया है। बस अपने सेलफोन में एक ऐप इंस्टाल कीजिए और मन चाहे तब आप कुछ भी रिकॉर्ड कीजिए और जब मन चाहे उसको सुन भी लीजिए। लेकिन क्या आवाज़ रिकॉर्ड करना और उसको बार-बार सुनना हमेशा से इतना आसान था या फिर काफी तकनीकी मशक्कत के बाद हम इस स्तर पर पहुंचे हैं।
ऑडियो रिकॉर्डिंग के इतिहास को देखा जाए तो इस क्षेत्र में सबसे पहला प्रयास थॉमस एडिसन ने किया था। उन्होंने 1877 में टिन की पन्नी के फोनोग्राफ का आविष्कार करके 1878 में इसे बेचना शुरू किया था। तो वे कौन से उपकरण और प्रणाली थी जिसकी मदद से सबसे पहली रिकार्डिंग की गई? सबसे पहले क्या रिकॉर्ड किया गया? और क्या सबसे पहली रिकार्डिंग अभी भी कहीं मौजूद है?
आज से कुछ साल पहले स्मिथसोनियन संग्रहालय से एक ऐसी टिन की पन्नी मिली जिसमें ऑडियो संग्रह था। अब समस्या थी कि इस टिन की पन्नी को चलाने के लिए वह उपकरण मौजूद नहीं था जिसकी मदद से इसको दोबारा सुना जा सके। और अगर ऐसा कोई उपकरण होता भी तो इस टिन पन्नी की हालत इतनी खराब थी कि अगर इसे चलाया जाता तो इसके बरबाद हो जाने की आशंका काफी अधिक थी।
इसी दौरान लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी, कैलिफोर्निया में भौतिक विज्ञानी कार्ल हैबर और उनकी टीम पन्नी का त्रि-आयामी चित्र तैयार करने में कामयाब रहे। इसकी स्थलाकृति को ध्वनि में परिवर्तित करने के लिए गणितीय विश्लेषण और मॉडलिंग की तकनीकों का उपयोग किया गया। इससे यह पता चला कि यदि सुई उस पन्नी पर चलती तो किस प्रकार ध्वनि की ध्वनि पैदा होती। और यह सारा पन्नी को छुए बिना किया गया क्योंकि यह पन्नी इतनी पुरानी, नाज़ुक और टूटी-फूटी थी कि इसको आज के आधुनिक तरीकों से चलाना असंभव था।
पन्नी पर यह रिकॉर्डिंग मूलत: फोनोग्राफ द्वारा बनाई गई थी, जिसकी सुई पन्नी पर ऊपर-नीचे चलती थी जिससे ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड किया जाता था। इसमें एक सिलेंडर भी था जिसको हाथ से घुमाया जाता था। आवाज़ को दोबारा सुनने के लिए सुई उससे जुड़े पर्दे को कंपन प्रदान करती जिससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती। यह पर्दा लाउडस्पीकर से जुड़ा रहता था जिसके माध्यम से आवाज़ को सीधे या इयरफोन के माध्यम से सुना जा सकता था।
लेकिन कई बार उपयोग करने के बाद सुई पन्नी को चीरफाड़ देती, जिसके बाद लोग इन्हें कबाड़ी को बेच देते थे या स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट कर देते थे। दरअसल यह पन्नी प्राचीन वस्तुएं संग्रह करने वाले एक व्यक्ति की पुत्री ने उपलब्ध कराई थी। कार्ल हैबर द्वारा इसको स्कैन और साफ करने के बाद भी रिकॉर्डिंग में जो शोरगुल सुनाई दे रहा है वह संभवत: पन्नी को मोड़कर रखने के कारण पड़ी सिलवटों के कारण है। इस रिकॉर्डिंग में एक व्यक्ति के हंसने की आवाज़ है और ‘मैरी हैड ए लिटिल लैम्ब’ और ‘ओल्ड मदर हबर्ड’ गीतों पाठ भी सुनाई दिया। माना जाता है कि यह पहली बार था जब 1878 में सेंट लुइस में थॉमस एडिसन के फोनोग्राफ द्वारा रिकॉर्ड की गई आवाज़ को न्यू यॉर्क स्थित जी. ई. थियेटर में सार्वजनिक रूप से सुनाया गया था।
कार्ल हैबर के पास वह उपकरण नहीं था जिससे इस आवाज़ को सुना जा सके लेकिन उन्होंने मॉडलिंग और सिमुलेशन पर आधारित एक तकनीक का इस्तेमाल किया है जिसकी मदद से किसी भी प्रकार की रिकॉर्डिंग को दोबारा जीवंत किया जा सकता है। उनके अनुसार यह अमेरिका ही नहीं दुनिया में कहीं भी की गई सबसे पुरानी रिकॉर्डिंग है।
इस लेख में जिस रिकॉर्डिंग की चर्चा की गई है उसे इस लिंक पर जाकर सुना जा सकता है: https://www.theatlantic.com/technology/archive/2012/10/scientists-recover-the-sounds-of-19th-century-music-and-laughter-from-the-oldest-playable-american-recording/264147/ |
रिकॉर्डिग में लगता है कि स्वयं एडिसन की आवाज़ है लेकिन इसे लेकर विवाद है। स्मिथसोनियन संग्रहालय के निरीक्षक क्रिस हंटर का मानना है कि यह आवाज एक अखबारी व्यंग्य लेखक थॉमस मेसन की है, जो अपने उपनाम आई.एक्स. पेक (अंग्रेज़ी में ‘I expect’) का उपयोग करते थे। कहते हैं थॉमस एडिसन थोड़ा ऊंचा सुनते थे और उनका उच्चारण भी काफी अलग था। एडिसन की पहली रिकॉर्डिंग अब मौजूद नहीं है, और यदि मौजूद है भी तो कोई नहीं जानता कि कहां है।
इन पन्नियों में एडिसन की आवाज़ है या नहीं यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन एक बात तो सच है कि रिकॉर्डिंग तकनीक ने जीवन के कई पहलुओं को आकार दिया है। रिकॉर्डेड ध्वनि ने संगीत उद्योग को जन्म दिया मगर साथ ही जनजातीय अनुसंधान, मैदानी रिकॉर्डिंग, पत्रकारिता के साक्षात्कार, ऐतिहासिक शोध में नई क्षमताएं पैदा कीं। इन सबकी शुरुआत की तलाश की जाए तो खोज एडिसन और उनकी पन्नियों पर जाकर खत्म होगी। एडिसन ने अपने इस आविष्कार की मदद से वास्तव में दुनिया को बदलकर रख दिया। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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