वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे चावल की भूसी से लकड़ी बनाई जा सकती है। इससे अब लकड़ी के लिए पेड़ काटना ज़रूरी नहीं होगा। साथ ही किसानों को धान के साथ भूसी के भी दाम मिलेंगे। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की के निदेशक एन. गोपाल कृष्णन के अनुसार उनके संस्थान ने धान की भूसी तथा देवदार के कांटों से लकड़ी बनाने की तकनीक विकसित की है। इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा तथा लकड़ी के लिए पेड़ों की कटाई भी कम हो सकेगी। देवदार के कांटे जंगल में गिरकर यूं ही पड़े रहते हैं। इनसे जंगल में आग लगने की आशंका रहती है। इनसे लकड़ी तैयार करने से पेड़ बचाने के साथ जंगल में आग लगने की समस्या भी कम की जा सकेगी। भूसी को लकड़ी में बदलने के लिए पहले से बने खांचे में उच्च दाब की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से बनी लकड़ी को बढ़ई आम लकड़ी की तरह हर प्रकार का आकार दे सकते हैं। और इनसे चौखट, तख्ते, बेंच आदि बनाए जा सकते हैं और फ्लोरिंग के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है। यह लकड़ी नेशनल बिल्डिंग कोड के सभी मानकों पर खरी उतरी है। इसके अलावा यह दीमक प्रतिरोधी भी है। (स्रोत फीचर्स)
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