अतिचालकता एक ऐसा गुण है जिसे सामान्य परिस्थितियों यानी सामान्य तापमान और दबाव पर पाने की जद्दोजहद वर्षों से जारी है। कारण यह है कि अतिचालकता यानी सुपर कंडक्टिविटी की स्थिति में पदार्थ विद्युत के बहने में कोई रुकावट पैदा नहीं करता और विद्युत बगैर किसी नुकसान के बहती रह सकती है। इसका मतलब होगा कि बिजली के उपयोग की दक्षता में भारी वृद्धि होगी। मगर अब तक कतिपय पदार्थों में अतिचालकता अत्यंत कम तापमान (शून्य से 83 डिग्री कम तापमान) पर ही हासिल की जा सकी थी, जो व्यावहारिक दृष्टि से बहुत उपयोगी नहीं है।
अब वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के भू-भौतिक शास्त्री रसेल हेमले ने दावा किया है कि उन्होंने अपेक्षाकृत सामान्य तापमान पर अति-चालकता का अवलोकन किया है। इस सम्बंध में उनका शोध पत्र फिजि़कल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित होने जा रहा है। हेमले की टीम ने घोषणा की है कि उन्होंने लेंथेनम नामक धातु का एक सुपरहाइड्राइड तैयार किया था जिसका अणु सूत्र LaH10 है। जब वे अत्यंत उच्च दबाव (लगभग 20 लाख वायुमंडलीय दाब के बराबर) पर इस पदार्थ के साथ प्रयोग कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि 7 डिग्री सेल्सियस पर अचानक उसके विद्युत प्रतिरोध में कमी आई। इस तरह की अचानक गिरावट को पदार्थ में अतिचालकता उभरने के एक लक्षण के रूप में माना जाता है।
हालांकि लेंथेनम सुपरहाइड्राइड में अतिचालकता 7 डिग्री सेल्सियस पर हासिल हुई थी किंतु दबाव अकल्पनीय रूप से अधिक था। तो आज भी यह अतिचालकता व्यावहारिक रूप से कोई मायने नहीं रखती मगर शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने तापमान सम्बंधी मनोवैज्ञानिक बाधा पार कर ली है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। (स्रोत फीचर्स)
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