जहां एक ओर विश्व में शराब से बढ़ती स्वास्थ्य व सामाजिक टूटन की समस्याओं के बारे में गहरी चिंता है, वहीं दूसरी ओर, एक उम्मीद जगाने वाली प्रवृत्ति भी सामने आई है। वह यह है कि हाल के समय में शराब छोड़ने वालों की संख्या भी काफी अधिक रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में शराब व स्वास्थ्य पर अपनी वर्ष 2018 की रिपोर्ट जारी की है। इसमें वर्ष 2016 के लिए शराब के सेवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण आंकडे संकलित किए गए हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार 15 वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग में यदि पुरुषों व महिलाओं को देखा जाए तो विश्व के 43 प्रतिशत व्यक्ति शराब पीते हैं व 44 प्रतिशत ऐसे हैं जिन्होंने जीवन में कभी शराब नहीं पी है। सवाल यह है कि शेष 13 प्रतिशत की क्या स्थिति है। ये बचे हुए 13 प्रतिशत वे लोग हैं जो पहले तो शराब पीते थे पर पिछले 12 महीनों में उन्होंने शराब नहीं पी। यदि ऐसे लोगों की विश्व में कुल संख्या देखी जाए तो यह लगभग 68 करोड़ है।
यह ज़रूरी नहीं है कि इन सबने बहुत दृढ़ व अच्छे निश्चय के आधार पर 12 महीने तक शराब नहीं पी। हो सकता है कि स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण डाक्टरों व परिवार ने उन पर इसके लिए बहुत दबाव बनाया हो। वजह कोई भी रही हो, पर महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वे पहले शराब पीते थे पर पिछले एक वर्ष में उन्होंने शराब नहीं पी।
इससे यह मिथक टूटता है कि जिसने एक बार शराब पीनी शुरू कर दी वह शराब छोड़ नहीं सकता है। जब इतने अधिक लोग पहले शराब पीने के बावजूद एक वर्ष तक शराब से दूर रह पाए, तो इसका अर्थ यह हुआ कि पर्याप्त प्रयास करने पर तथा उचित माहौल मिलने पर बड़ी संख्या में शराब पीने वाले इसे छोड़ सकते हैं।
एक अन्य उत्साहवर्धक समाचार यह है कि रूस व पूर्वी यूरोप के कुछ देशों में जहां प्रति व्यक्ति शराब की खपत बहुत बढ़ गई थी वहां सरकारों के प्रयासों से प्रति व्यक्ति शराब की खपत में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है।
अब केवल अपने देश के आंकड़ों को देखें तो यहां कभी शराब न पीने वाले व्यक्तियों की संख्या 54 प्रतिशत है व पीने वालों की संख्या 39 प्रतिशत है। शेष 7 प्रतिशत ऐसे हैं जो पहले शराब पीते थे पर पिछले एक वर्ष में उन्होंने शराब नहीं पी है। जहां विश्व में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 13 प्रतिशत है हमारे देश में यह 7 प्रतिशत है। पर 7 प्रतिशत भी कम नहीं है। इससे भी यही पता चलता है कि यदि उचित स्थितियां मिले तो बहुत से लोग शराब छोड़ सकते हैं।
हमारे देश का एक विशिष्ट अनुभव यह रहा है (जिससे अन्य देश भी बहुत कुछ सीख सकते हैं) कि शराब–विरोधी जन आंदोलनों के दौरान कई बार ऐसा प्रेरणादायक माहौल बनता है कि बहुत से लोग शराब छोड़ देते हैं। दल्ली राजहरा (छत्तीसगढ़) व पठेड़ गांव (ज़िला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) जैसे अनेक शराब विरोधी आंदोलनों के दौरान ऐसा होना देखा गया। आज़ादी की लड़ाई से भी शराब विरोधी आंदोलन नज़दीकी तौर पर जुड़ा था व इसके प्रेरणादायक असर से भी बहुत से लोगों ने शराब छोड़ी थी। अत: एक बड़ा प्रयास यह होना चाहिए कि समाज में शराब छोड़ने के लिए प्रेरणादायक माहौल बने व शराब विरोधी आंदोलन को प्रोत्साहन मिले।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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