बचपन में मुझे कंघा नहीं करने पर रोज़ डांट पड़ती थी। क्या करता, कितनी भी कंघी करूं जमते ही नहीं थे। फुटबाल के प्रसिद्ध खिलाड़ी मेराडोना की तरह मेरे दोस्त के बाल भी घुंघराले थे। खेलने–कूदने में बिखरते ही नहीं थे। मैं उसे मेराडोना ही कहता था। सत्यसांई और अलबर्ट आइंस्टाइन के चेहरे तो उनके बाल के कारण ही याद रह जाते हैं। इनकी माओं को जूं निकालने में बड़ा सिरदर्द होता होगा। एक पिता ने तो अपने 18 महीने के बच्चे टेलर मेकग्वान का फेसबुक अकाउंट बेबी आइंस्टाइन-2 नाम से खोला है।
कुछ बच्चों के बाल कंघे से जमाए ही नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें अनकॉम्बेबल हेयर सिंड्रोम (UHS) है। आज तक विज्ञान साहित्य में 100 ऐसे लोगों का उल्लेख हुआ है। मगर वास्तव में ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है।
अनकॉम्बेबल हेयर सिंड्रोम एक अत्यंत बिरली आनुवंशिक विसंगति है। ऐसे बालों को स्पन ग्लास हेयर सिंड्रोम भी कहते है। इन लोगों के बाल ऊन के रेशे जैसे चमकदार, सूखे और बेतरतीब रूप से विभिन्न दिशाओं में खड़े रहते हैं। बालों का रंग चांदी जैसा सफेद या भूसे के रंग का पीला–भूरापन लिए होता है। ये खोपड़ी से ऐसे चिपके रहते हैं कि इन्हें कंघी करना मुश्किल हो जाता है। यह समस्या बच्चों में स्पष्ट दिखती है किंतु बढ़ती उम्र के साथ सुधरती जाती है। अधिकतर मामलों में देखा गया है कि माता–पिता दोनों में यह दिक्कत हो तो ही वह बच्चे में दिखती है।
ऐसा अनुमान है कि यह समस्या तीन जीन्स में म्यूटेशन यानी उत्परिर्वन के कारण पैदा होती है। ये तीनों जीन बालों के उस हिस्से को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं जो त्वचा के ऊपर निकला होता है। इसे शैफ्ट कहते हैं। इनमें से किसी भी एक जीन में उत्परिवर्तन होने से बालों की संरचना में परिवर्तन हो जाता है। इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी से सामान्य बालों के शैफ्ट की आड़ी काट गोल दिखती है परंतु विकृति के कारण इसकी आड़ी काट गोल के बजाय तिकोनी दिखती है।
यह भी देखा गया है कि त्वचा के सामान्य केरेटिनोसाइट कोशिकाओं में कोशिका द्रव एकरस दिखता है परंतु UHS कोशिकाओं के कोशिका द्रव में प्रोटीन के लौंदे होते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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