यह तो हम सब जानते हैं कि पौधों में मस्तिष्क नहीं होता लेकिन उनके पास किसी प्रकार का तंत्रिका तंत्र ज़रूर होता है। हाल ही में जीव वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि जब पेड़ का एक पत्ता खाया जाता है, तो अन्य पत्तियों को चेतावनी मिलती है और यह चेतावनी लगभग जंतुओं जैसे संकेतों के रूप में होती है। इस जानकारी ने इस गुत्थी को सुलझाना शुरू किया है कि पौधे के विभिन्न हिस्से एक–दूसरे के साथ कैसे संवाद करते हैं।
जंतुओं में तंत्रिका कोशिकाएं ग्लूटामेट नामक अमीनो अम्ल की सहायता से एक–दूसरे से बात करती हैं। किसी उत्तेजित तंत्रिका कोशिका द्वारा मुक्त किए जाने के बाद ग्लूटामेट पास की कोशिकाओं में कैल्शियम आयनों की तरंग पैदा करता है। ये तरंगें अगली तंत्रिका कोशिका तक जाती हैं, जो लाइन में अगली कोशिका को संकेत देती हैं और इस प्रकार लंबी दूरी का संचार संभव हो पाता है।
वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि पौधे गुरुत्वाकर्षण के प्रति कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। इसी दौरान यह खोज सामने आई। उन्होंने एक आणविक सेंसर विकसित किया जो कैल्शियम में बढ़ोतरी का पता लगा सकता था। उन्होंने यह सेंसर एरेबिडॉप्सिस नामक पौधे में जोड़ दिया। सेंसर कैल्शियम के स्तर में वृद्धि होने पर चमकता है। फिर उन्होंने कैल्शियम गतिविधि का पता लगाने के लिए पौधे की एक पत्ती को तोड़ा।
साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने घाव वाले स्थान के करीब चमक को बढ़ते और फिर कम होते देखा। धीरे–धीरे इसी तरह की चमक थोड़ी दूरी पर भी देखी गई और यह कैल्शियम की लहर अन्य पत्तियों तक भी पहुंच गई। आगे के अध्ययन से मालूम चला कि कैल्शियम तरंग की शुरुआत ग्लूटामेट के कारण हुई थी।
हालांकि, जीव विज्ञानियों को यह तो पहले से मालूम था कि पौधे के एक हिस्से में होने वाला परिवर्तन दूसरे हिस्सों द्वारा महसूस किया जाता है लेकिन इस प्रसारण की क्रियाविधि को वे नहीं जानते थे। अब जब उन्होंने कैल्शियम तरंग और ग्लूटामेट की भूमिका देख ली है, तो शोधकर्ता इसकी बेहतर निगरानी कर सकेंगे और शायद एक दिन पौधे के आंतरिक संचार में फेरबदल भी कर सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : http://www.sciencemag.org/news/2018/09/plants-communicate-distress-using-their-own-kind-nervous-system