विश्व पर्यटन दिवस समारोह संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन (यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ.) द्वारा 1980 में शुरु किया गया था और हर वर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है। 1970 में इसी दिन यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ. के कानून प्रभाव में आए थे जिसे विश्व पर्यटन के क्षेत्र में मील का पत्थर माना जाता है। इसका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ–साथ लोगों को विश्व पर्यटन के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक निहितार्थ के बारे में जागरुक करना है।
हर वर्ष इस दिवस के कार्यक्रम किसी विषय या थीम पर केंद्रित रहते हैं। 2013 में इसकी थीम थी ‘पर्यटन और पानी: हमारे साझे भविष्य की रक्षा’ और 2014 में ‘पर्यटन और सामुदायिक विकास’। 2015 का विषय ‘लाखों पर्यटक, लाखों अवसर’ था। 2016 का विषय ‘सभी के लिए पर्यटन – विश्वव्यापी पहुंच को बढ़ावा’ था।
इस वर्ष का विषय ‘पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण’ है। हर वर्ष यू.एन.डब्ल्यू.टी.ओ. के महासचिव आम जनता के लिए एक संदेश प्रसारित करते हैं। विभिन्न पर्यटन संस्थान, संगठन, सरकारी एजेंसियां आदि इस दिन को मनाने में बढ़–चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं जैसे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये फोटो प्रतियोगिता, पर्यटन पुरस्कार प्रस्तुतियां, आम जनता के लिये छूट/विशेष प्रस्ताव आदि आयोजित किए जाते हैं।
पर्यटकों के लिए विभिन्न आकर्षक और नए स्थलों की वजह से पर्यटन दुनिया भर में लगातार बढ़ने वाला और विकासशील आर्थिक उद्यम बन गया है। कई विकासशील देशों के लिए यह आय का मुख्य स्रोत भी साबित होने लगा है।
हर वर्ष यह सितंबर माह के अंत में किसी देश की राजधानी में इसका समारोह आयोजित किया जाता है। चूंकि इस वर्ष कंबोडिया को सबसे बेहतरीन पर्यटक देश का खिताब मिला है इसलिए आधिकारिक समारोह कंबोडिया की राजधानी नॉम पेन्ह में आयोजित किया गया।
लेकिन पर्यटन के साथ–साथ हमें एक और महत्वपूर्ण समस्या की ओर सोचना चाहिए। एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग इतना तेज़ी से आगे बढ़ा है कि आज यह कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 8 प्रतिशत के लिए जवाबदेह है। ग्रीनहाउस गैसें उन गैसों को कहते हैं जो वायुमंडल में उपस्थित हों तो धरती का तापमान बढ़ाने में मददगार होती हैं। इनमें कार्बन डाईऑक्साइड और मीथेन प्रमुख हैं।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय की अरुणिमा मलिक और उनके साथियों ने 160 देशों में पर्यटन की वजह से होने वाले सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की गणना की है। उनका कहना है कि यह उद्योग हर साल जितनी अलग–अलग ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है वे 4.5 गिगाटन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर हैं। पूर्व के अनुमान थे कि पर्यटन उद्योग का सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1-2 गिगाटन प्रति वर्ष होता है।
मलिक की टीम ने जो हिसाब लगाया है उसमें उन्होंने सीधे–सीधे हवाई यात्राओं की वजह से होने वाले उत्सर्जन के अलावा अप्रत्यक्ष उत्सर्जन की भी गणना की है। अप्रत्यक्ष उत्सर्जन में पर्यटकों के लिए भोजन पकाने (सैलानी काफी डटकर खाते हैं), होटलों के रख–रखाव, तथा सैलानियों द्वारा खरीदे जाने वाले तोहफों/यादगार चीज़ों (सुवेनिर) के निर्माण के दौरान होने वाले उत्सर्जन को शामिल किया गया है।
टीम का कहना है कि पर्यटन के कार्बन पदचिंह में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। कार्बन पदचिंह से मतलब है कि कोई गतिविधि कितनी कार्बन डाई ऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ती है। जहां 2009 में पर्यटन का कार्बन पदचिंह 3.9 गिगाटन था वहीं 2013 में बढ़कर 4.4 गिगाटन हो गया। टीम का अनुमान है कि 2025 में यह आंकड़ा 6.5 गिगाटन हो जाएगा।
समृद्धि बढ़ने के साथ पर्यटन बढ़ता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यूएसए सबसे बड़ा पर्यटन–कार्बन उत्सर्जक है – न सिर्फ अमरीकी नागरिक बहुत सैर–सपाटा करते हैं बल्कि कई सारे देशों के लोग यूएसए पहुंचते हैं। किंतु मलिक का कहना है कि कई अन्य देश तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन, ब्राज़ील और भारत जैसे देशों के लोग आजकल दूर–दूर तक पर्यटन यात्राएं करते हैं। राष्ट्र संघ के विश्व पर्यटन संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में चीनी लोगों ने पर्यटन पर 258 अरब डॉलर खर्च किए थे।
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित रिपोर्ट में टीम की सबसे पहली सिफारिश है कि पर्यटन के लिए हवाई यात्राओं को न्यूनतम किया जाए। किंतु मलिक मानती हैं कि पर्यटकों में दूर–दराज इलाकों में पहुंचने की इच्छा बढ़ती जा रही है और संभावना यही है कि मैन्यूफैक्चर, विनिर्माण और सेवा प्रदाय के मुकाबले पर्यटन–सम्बंधी खर्च कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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