पता चला है कि टोकियो मेडिकल विश्वविद्यालय में मेडिकल प्रवेश परीक्षा में लड़कियों के अंक व्यवस्थित रूप से कम किए गए ताकि उन्हें प्रवेश न मिल सके। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की बातों के साथ इस प्रकार के भेदभाव को लेकर बहुत आक्रोश है।
दरअसल, वकीलों का एक दल इन आरोपों की जांच कर रहा था कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के पुत्र को प्रवेश दिलवाने के लिए अंकों में हेराफेरी की गई थी। जांच के दौरान पता चला कि उपरोक्त छात्र के अंक तो बढ़ाए ही गए बल्कि कई अन्य पुरुष अभ्यर्थियों के अंक भी बढ़ाए गए। एक मामले में तो 49 अंकों की बढ़ोतरी की गई।
वकीलों की समिति को यह हैरतअंगेज़ बात भी पता चली कि अंकों में इस तरह हेराफेरी की गई थी कि लड़कियों के मुकाबले लड़कों को ज़्यादा अंक मिलें ताकि लड़कियों को प्रवेश देना ही न पड़े। विश्वविद्यालय के अधिकारियों को लगता है कि लड़कियों को प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि शादी और बच्चे हो जाने के बाद वे यह व्यवसाय छोड़ देती हैं।
जांच में स्पष्ट हुआ कि उन लड़कों के भी अंक बढ़ाए गए थे जो इसी परीक्षा में पहले एक या दो बार अनुत्तीर्ण हो चुके थे। वहीं दूसरी ओर, तीन बार अनुत्तीर्ण हो चुके लड़कों और समस्त लड़कियों के अंक नहीं बढ़ाए गए। समिति अभी यह निर्धारित नहीं कर पाई है कि इस हेराफेरी में कितनी लड़कियों का नुकसान हुआ है किंतु लगता है कि यह कारस्तानी पिछले दस सालों से चल रही थी।
जहां विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस दुर्भाग्यपूर्ण भेदभाव के लिए क्षमा याचना की है वहीं यह भी कहा है कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं था। समिति का मत है कि जिन लड़कियों के साथ भेदभाव हुआ है उनकी क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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