क्या वाकई 20 सेकंड हाथ धोना ज़रूरी है?

टीवी पर हैंडवाश का एक विज्ञापन आता है जिसमें एक बच्चा अच्छी तरह मलकर हाथ धोते दिखता है, तो उसके दोस्त उससे पूछते हैं तेरा साबुन स्लो है क्या और फटाफट अपने हाथ उस हैंडवाश से धोकर निकल जाते हैं जो दावा करता है कि वह 10 सेकंड में कीटाणुओं का सफाया कर डालता है।

लेकिन भौतिकी का सामान्य मॉडल बताता है कि हाथों से वायरस या बैक्टीरिया से छुटकारा पाने का कोई तेज़ तरीका नहीं है। झाग बनने की द्रव गतिकी के विश्लेषण के अनुसार वायरस या बैक्टीरिया को हाथों से हटाने के लिए हाथों को धीमी गति से कम से कम 20 सेकंड तक तो धोना ही चाहिए। हाथ धोने का यह समय सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए समय के बराबर है।

हाथ धोने के सरल से काम में जटिल भौतिकी कार्य करती है। हाथ धोते समय जब हाथ आपस में रगड़ते हैं तो दोनों हाथों के बीच पानी और साबुन की एक पतली परत होती है। इसकी भौतिकी पर प्रकाश डालने के लिए पॉल हैमंड ने द्रव गतिकी के लूब्रिकेशन सिद्धांत का सहारा लिया, जो दो सतहों के बीच द्रव की पतली परत की भौतिकी का वर्णन करता है। हैमंड ने इस सिद्धांत (इसके सूत्र) का उपयोग कर एक सरल मॉडल तैयार किया जो यह अनुमान लगाता है कि हाथ से कीटाणुओं या रोगणुओं को हटाने में कितना समय लगता है। उन्होंने पाया कि हाथों से रोगाणुओं का सफाया करने के लिए कम से कम 20 सेकंड तक हाथ रगड़कर धोना ज़रूरी है।

हालांकि विश्लेषण में हाथ धोने के लिए इस्तेमाल किए गए रसायन और जीव वैज्ञानिक पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा गया, लेकिन यह परिणाम आगे के अध्ययनों के लिए रास्ता खोलते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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