टीके की प्रभाविता का क्या मतलब है?

न दिनों अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के टीके को यूएस के खाद्य व औषधि प्रशासन ने आपात उपयोग की स्वीकृति दे दी है। स्वीकृति के निर्णय के पीछे कंपनी द्वारा टीके की प्रभाविता सम्बंधी आंकड़े महत्वपूर्ण रहे। समय-समय पर विभिन्न टीकों की प्रभाविता सम्बंधी आंकड़े प्रकाशित होते रहे हैं।

देखा जाए तो टीके के परीक्षणों में प्रभाविता का पता लगाना महत्वपूर्ण है लेकिन पेचीदा भी है। यदि किसी टीके की प्रभाविता 95 प्रतिशत है तो इसका मतलब यह नहीं कि टीका प्राप्त पांच प्रतिशत लोग कोविड-19 से बीमार हो जाएंगे। यह भी ज़रूरी नहीं कि परीक्षण के दौरान किसी टीके की अधिक प्रभाविता के कारण उसे अन्य टीकों की तुलना में बेहतर माना जाए।

वास्तव में प्रभाविता यह दर्शाती है कि एक टीका किस हद तक बीमार पड़ने के जोखिम को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने सबसे पहले यह देखा कि कितने लोग कोविड-19 टीका लगने के बावजूद बीमार हुए हैं। इसके बाद उन्होंने प्लेसिबो प्राप्त कोविड-19 से ग्रसित लोगों से इसकी तुलना की। इसके बाद जोखिम के अंतर की गणना प्रतिशत में की गई। यदि यह अंतर शून्य प्रतिशत हो तो इसका मतलब है टीकाकृत लोग उतने ही जोखिम में हैं जितना प्लेसिबो प्राप्त लोग। दूसरी ओर, यदि अंतर 100 प्रतिशत हो तो इसका मतलब होगा कि टीके द्वारा जोखिम को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। अमेरिका के परीक्षण स्थल पर जॉनसन एंड जॉनसन ने 72 प्रतिशत प्रभाविता पाई है।             

गौरतलब है कि प्रभाविता परीक्षण पर परीक्षण के स्थान जैसे कई कारकों का असर पड़ता है। जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में परीक्षण किया है। इसमें तीनों स्थानों की समग्र प्रभाविता अमेरिका में अनुमानित प्रभाविता से कम पाई गई। इसका संभावित कारण यह हो सकता है दक्षिण अफ्रीका परीक्षण में नए (बी.1.351) संस्करण के आने के बाद किया गया था। इस संस्करण में कुछ ऐसे उत्परिवर्तन पाए गए हैं जो टीकाकरण से प्राप्त एंटीबॉडी से बच निकलने में सक्षम थे। हालांकि इससे टीका पूरी तरह असरहीन नहीं हुआ और दक्षिण अफ्रीका में भी प्रभाविता 64 प्रतिशत दर्ज की गई।

इसके अलावा, प्रभाविता का आंकड़ा इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस परिणाम में अंतर को देखा जा रहा है। उदाहरण के लिए, जॉनसन एंड जॉनसन के टीके ने कोविड-19 के गंभीर मामलों के खिलाफ 85 प्रतिशत प्रभविता दर्शाई। यानी इस टीके से अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या और मौतों को कम किया जा सकता है।

पिछले वर्ष एफडीए ने कोरोनावायरस टीके के परीक्षण के लिए मापदंड निर्धारित किए थे। इसमें प्रत्येक टीका निर्माता को 50 प्रतिशत प्रभाविता और 30 प्रतिशत विश्वसनीयता प्रदर्शित करना अनिवार्य था। 30 प्रतिशत विश्वसनीयता या कॉन्फिडेन्स इंटरवल से पता चलता है कि वास्तविक मान किन आंकड़ों के बीच रहने की संभावना 30 प्रतिशत है। अभी तक फाइज़र एवं बायोएनटेक, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा निर्मित तीन टीके एफडीए के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा कर पाए हैं। इसके अलावा, एस्ट्राज़ेनेका और नोवावैक्स तथा स्पुतनिक वी ने अन्य देशों में किए गए प्रभाविता अध्ययन के परिणाम प्रकाशित किए हैं।    

कई कारणों से इन सभी टीकों के बीच सटीक तुलना करना संभव नहीं है। ऐसा संभव है कि एक टीके का पॉइंट एस्टीमेट दूसरे टीके की तुलना में अधिक हो लेकिन उनके विश्वसनीयता के परास एक समान हो सकते हैं। ऐसे में उनके परिणामों की तुलना नहीं की जा सकती। इसके अलावा टीकों का परीक्षण महामारी के विभिन्न चरणों में विभिन्न लोगों पर किया गया है। प्रभाविता को भी अलग-अलग तरीकों से मापा गया है। उदाहरण के लिए जॉनसन एंड जॉनसन ने टीके की पहली खुराक के 28 दिन बाद प्रभाविता का मापन किया जबकि मॉडर्ना ने दूसरी खुराक के 14 दिन बाद मापा था। अलबत्ता, ये तीनों टीके कोविड-19 के जोखिम को काफी हद तक कम करते हैं।     

सभी टीकों ने अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत और मृत्यु की रोकथाम में उच्च प्रभाविता दर्शाई है। उदाहरण के लिए जॉनसन एंड जॉनसन का टीका पाने वाले एक भी व्यक्ति को टीका लगने के 28 दिनों और उससे अधिक समय बाद भी कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा था दूसरी ओर, प्लेसिबो प्राप्त 16 लोगों को भर्ती होना पड़ा था। यानी प्रभाविता 100 प्रतिशत है जिसमें 74.3 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक का कॉन्फिडेन्स इंटरवल पाया गया।  

गौरतलब है कि नैदानिक परीक्षण वास्तव में टीकों पर शोध की शुरुआत भर है। इनके व्यापक उपयोग के बाद प्रभाविता की बजाय प्रभावशीलता को मापा जाता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि वास्तविक परिस्थिति में कोई टीका किस हद तक बीमारी के जोखिम से बचा सकता है। हालांकि शुरुआती अध्ययन से कोरोनावायरस टीकों द्वारा मज़बूत सुरक्षा मिलने की पुष्टि हुई है, लेकिन आने वाले समय में शोधकर्ताओं की नज़र टीके की प्रभावशीलता पर रहेगी। कुछ भी बदलाव होने पर नए टीकों का निर्माण किया जाएगा और टीका निर्माता प्रभाविता के नए आंकड़े प्रस्तुत करेंगे। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.nytimes.com/interactive/2021/03/03/science/vaccine-efficacy-coronavirus.html

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