मेंढक के पेट से ज़िंदा बच निकलता है यह गुबरैला

मेंढक द्वारा ज़िंदा निगल लिए जाने पर अधिकांश कीटों की मौत तो तय ही समझो, लेकिन एक प्रजाति का गुबरैला, रेजिम्बार्टिया एटेनुएटा, पचकर मेंढक का नाश्ता बनने की बजाय गुदा के रास्ते जीवित बाहर निकल जाता है।

जापान के कोबे विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर शिनजी सुगिउरा को यकीन था कि आर. एटेनुएटा गुबरैलों ने मेंढकों का भोजन बनने से बचने का तरीका विकसित कर लिया है। उनका अनुमान था कि अपने बचाव की प्रक्रिया में गुबरैले मेंढकों द्वारा मुंह से ही बाहर निकाल दिए जाएंगे। जांच के लिए उन्होंने प्रयोगशाला में एक किशोर तालाबी मेंढक, पेलोफाइलैक्स निग्रोमैकुलैटस, को एक वयस्क जलीय गुबरैला (आर. एटेनुएटा) भोजन के लिए दिया जिसे मेंढक ने पूरा का पूरा ज़िंदा निगल लिया। इस घटना के लगभग 105 मिनट बाद शोधकर्ताओं ने देखा कि वह गुबरैला मेंढक के शरीर से जीवित बाहर निकल आया, लेकिन मुंह के रास्ते नहीं बल्कि मल के साथ गुदा के रास्ते। यह देखकर शोधकर्ता हैरान रह गए।

उन्होंने एक दर्जन से अधिक बार इस प्रयोग को दोहराया और पाया कि 93 प्रतिशत गुबरैले मल के साथ बाहर आ गए और हर बार गुबरैलों का सिर पहले बाहर आया। ये नतीजे शोधकर्ताओं ने करंट बायोलॉजी पत्रिका में रिपोर्ट किए हैं। गुबरैले बाहर आने पर मल में धंसे हुए थे लेकिन जल्दी ही उससे बाहर निकल गए और इसके बाद कम से कम दो सप्ताह तक जीवित रहे।

खाए जाने के बाद एक घंटे से छह घंटे के भीतर गुबरैले मेंढक के शरीर से बाहर आ गए थे। सामान्यत: मांसपेशियां गुदा-द्वार को कसकर बंद रखती हैं, ये मांसपेशियां तभी शिथिल होती हैं जब मेंढक मल त्याग करता है। देखा गया है कि आम तौर पर मेंढक भोजन के बाद इतनी जल्दी मल त्याग नहीं करते हैं। उक्त अवलोकनों से तो लगता है कि गुबरैले मेंढकों को विष्ठा त्याग के लिए उकसाते हैं।

एक सोच यह थी कि गुबरैले ऐसा अपने पैरों की मदद से करते हैं। इस बात की जांच के लिए शोधकर्ताओं ने गुबरैले के पैरों को मोम से चिपका दिया और फिर उन्हें मेंढक को भोजन के रूप में दिया। उन्होंने पाया कि इनमें से एक भी गुबरैला जीवित नहीं बचा।

प्रयोग में अन्य जलीय गुबरैले इतने भाग्यशाली नहीं थे। शोधकर्ताओं ने जब अन्य गुबरैलों (जैसे एनोक्रस जेपोनिकस) मेंढकों को पेश किए तो वे सभी मेंढकों द्वारा निगले जाने के बाद अंदर ही मर गए और निगले जाने के 24 घंटे बाद टुकड़ों में बाहर आए।

हालांकि शिकार के शरीर में पचने से बचने का यह पहला उदाहरण नहीं है। 2018 में सुगिउरा ने पाया था कि बम्बार्डियर गुबरैले (फेरोपोफस जेसेओन्सिस) मेंढक द्वारा निगले जाने पर ऐसा ज़हरीला रसायन छोड़ते हैं कि शिकारी उल्टी कर देता है और वे बाहर आ जाते हैं। लेकिन गुदा के रास्ते मल के साथ बाहर आने का यह पहला उदाहरण है।

बहरहाल, यह विस्तार से देखने की ज़रूरत है कि गुबरैले बाहर निकलने के लिए मांसपेशियों को शिथिल होने के लिए कैसे प्रेरित करते हैं।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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