कोरोनावायरस से उबरने का मतलब क्या है?

दिन-ब-दिन कोरोनोवायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अच्छी बात यह है कि कोरोनावायरस से संक्रमित अधिकांश मरीज़ इस संक्रमण से उबर जाते हैं। लेकिन संक्रमण से उबरना मात्र बेहतर महसूस करने की तुलना में थोड़ा पेचीदा मामला है।

जब कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है तो शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाना शुरु करता है। ये एंटीबॉडी वायरस को नियंत्रित करती हैं और उसे अपनी प्रतिलिपियां बनाने से रोकती हैं। जब एंटीबॉडी वायरस को रोकने में सफल हो जाती हैं, तो मरीज़ में रोग के लक्षण दिखना कम होने लगते हैं और व्यक्ति बेहतर महसूस करने लगता है। यदि सब ठीक-ठाक चले तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सारे वायरसों को पूरी तरह से नष्ट कर देती है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति स्वास्थ्य पर बगैर किसी दूरगामी प्रभाव या अक्षमता के ठीक हो जाता है तो कहते हैं कि वह उबर गया है।

सामान्य तौर पर एक बार जब कोई व्यक्ति वायरस के संक्रमण से उबर जाता हैं तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस वायरस को याद रखती है। यदि यही वायरस दोबारा हमला करता है तो एंटीबॉडीज़ शुरुआत में ही इस वायरस का सफाया शुरू कर देती हैं। यानी व्यक्ति में उस वायरस के विरुद्ध प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है; टीके इसी सिद्धांत पर काम करते हैं।

लेकिन अफसोस कि हमारा प्रतिरक्षा तंत्र एकदम सटीक नहीं होता। मम्स (गलसुआ) जैसे कई रोगों के वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा समय के साथ खत्म हो जाती है और भविष्य में फिर संक्रमण की संभावना बन जाती है। चूंकि यह कोरोनावायरस नया है इसलिए वैज्ञानिक अभी नहीं जानते कि जो लोग कोरोनावायरस के संक्रमण से उबर गए हैं उनके शरीर में प्रतिरक्षा कितने समय तक टिकी रहेगी।

लेकिन सवाल यह है कि ठीक-ठीक कब माना जाएगा कि कोई मरीज़ कोरोनावायरस के संक्रमण से ठीक हो चुका है। सीडीसी के अनुसार किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस के संक्रमण से उबरा हुआ तब माना जाएगा जब वह शारीरिक रूप से और जांच, दोनों मानदंडों पर खरा उतरेगा। शारीरिक स्तर पर, बुखार कम करने वाली दवाएं बंद करने के बाद लगातार तीन दिन तक मरीज़ को बुखार नहीं आना चाहिए, खांसी और सांस की तकलीफ सहित अन्य लक्षणों में सुधार दिखना चाहिए, और लक्षण दिखना शुरू होने के बाद कम से कम सात दिन बीत जाने चाहिए। सीडीसी के अनुसार इसके अलावा, मरीज़ के 24 घंटे के अंतराल में दो बार किए गए परीक्षण के नतीजे नकारात्मक होना चाहिए। जब शारीरिक रूप से और परीक्षण दोनों स्थितियां इस बात की पुष्टि करें कि व्यक्ति कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं हैं तभी किसी व्यक्ति को आधिकारिक तौर पर इस संक्रमण से उबरा हुआ माना जाएगा।

यहां एक और सवाल उठता है कि क्या इस संक्रमण से उबर चुके मरीज़ आगे मददगार साबित हो सकते हैं? जैसा कि डॉक्टर कह रहे हैं कि इस संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में इस बात का पता लगाया जाए कि क्या उनमें इसके विरुद्ध प्रतिरक्षा विकसित हुई है? यदि उनमें कोरोनावायरस के विरुद्ध प्रतिरक्षा विकसित हुई है तो ये लोग अन्य संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल में मदद कर सकते हैं।(स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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