आंत के सूक्ष्मजीव मनोदशा को प्रभावित करते हैं

व्यक्ति की आंत व अन्य ऊतकों में बैक्टीरिया का संसार स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। लेकिन मस्तिष्क पर इसके प्रभाव सबसे अधिक हो सकते हैं। युरोप के दो बड़े जनसमूहों के एक अध्ययन में पाया गया है कि अवसादग्रस्त लोगों की आंत में बैक्टीरिया की कई प्रजातियां मौजूद नहीं होती हैं। बैक्टीरिया की अनुपस्थिति किसी बीमारी की वजह से हो या यह अनुपस्थिति किसी बीमारी को जन्म देती हो लेकिन तथ्य यह है कि आंत के कई बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए पदार्थ तंत्रिकाओं के कार्य और मिज़ाज को प्रभावित करते हैं। 

पूर्व में किए गए कुछ छोटे-छोटे अध्ययनों में पाया गया था कि अवसाद की दशा में आंत के बैक्टीरिया की स्थिति में बदलाव आता है। इस अध्ययन को बड़े समूह पर करने के लिए कैथोलिक विश्वविद्यालय, बेल्जियम के सूक्ष्मजीव विज्ञानी जीरोन रेस और उनके सहयोगियों ने सामान्य सूक्ष्मजीव संसार के आकलन के लिए 1054 बेल्जियम नागरिकों को चुना। इनमें 173 लोग अवसाद से ग्रसित रहे थे या जीवन की गुणवत्ता के सर्वेक्षण में उनकी हालत घटिया पाई गई थी। इसके बाद टीम ने अन्य प्रतिभागियों से इनके सूक्ष्मजीव संसार की तुलना की। इस अध्ययन में स्वस्थ लोगों की तुलना में अवसाद ग्रस्त लोगों के सूक्ष्मजीव संसार में दो प्रकार के बैक्टीरिया (कोप्रोकॉकस और डायलिस्टर) नहीं पाए गए। शोधकर्ताओं ने अवसादग्रस्त लोगों में क्रोह्न रोग के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि भी देखी।

अक्सर एक आबादी में सूक्ष्मजीव संसार सम्बंधी परिणाम अन्य समूहों से मेल नहीं खाते हैं। इसके लिए टीम ने 1064 डच लोगों के सूक्ष्मजीव संसार के आंकड़ों पर भी गौर किया। वहां भी अवसादग्रस्त लोगों में वही दो बैक्टीरिया प्रजातियां नदारद थीं।

बैक्टीरिया को मनोदशा से जोड़ने की कड़ी को समझने के लिए रेस और उनके सहयोगियों ने तंत्रिका तंत्र कार्य के लिए महत्वपूर्ण 56 पदार्थों की एक सूची तैयार की, जिनका उत्पादन या विघटन आंत के बैक्टीरिया करते हैं। उन्होंने पाया कि कोप्रोकोकस डोपामाइन नामक रसायन जैसा मार्ग अपनाते हैं जो अवसाद का एक प्रमुख मस्तिष्क संकेत है। यह वही बैक्टीरिया है जो ब्यूटिरेट नामक एक सूजन उत्तेजक पदार्थ भी बनाता है, और सूजन का सम्बंध अवसाद से देखा गया है।

बैक्टीरिया की अनुपस्थिति और अवसाद का सम्बंध तो समझ में आता है लेकिन आंत में सूक्ष्मजीवों द्वारा बनाए गए यौगिक कैसे असर डालते हैं यह समझना मुश्किल है। इसका एक संभव रास्ता वेगस तंत्रिका है, जो आंत और मस्तिष्क को जोड़ती है।

कुछ चिकित्सक और कंपनियां पहले से ही अवसाद के लिए विशिष्ट प्रोबायोटिक्स की खोज कर कर रहे हैं लेकिन वे आम तौर से इस नए अध्ययन में पहचाने गए बैक्टीरिया समूह को शामिल नहीं करते हैं। बेसल विश्वविद्यालय, स्विट्जरलैंड में मल-प्रत्यारोपण के एक परीक्षण की योजना बनाई जा रही है, जो अवसादग्रस्त लोगों में आंतों के सूक्ष्मजीव संसार को ठीक कर सकता है। कई लोग और अध्ययन करने का सुझाव देते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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